राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनजी भागवत ने भगवान याज्ञवल्क्य वेदतत्वज्ञान योगाश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित वेद संस्कृत ज्ञान गौरव समारंभ, मुड़ेटी, ईडर, गुजरात में भाग लिया. अपने उद्बोधन में उन्होंने कहाँ कि, धर्म पहली बात यह बताता है कि जो कुछ दिखता है वह चिरंतन हैं. यह पूरी सृष्टि मेरा अंग है. यह त्रिभुवन हमारा घर है. जोड़ने वाला तत्व स्वार्थ पर आधारित नहीं है. वह संबंध पर आधारित है. हमको विश्व को उसकी आज की समस्याओं का उत्तर देने वाला देश बनाना है.
हमको विश्व को नित्य शाश्वत सुख शांति प्रेम का आचरण से रास्ता दिखाने वाला देश बनाना है. यही हमारा कर्तव्य है और यह कर्तव्य अगर करना है तो विश्व की एकता के सत्य पर आधारित जो भद्र है जो मंगल है ऐसी संस्कारो के आधार पर चलने वाली संस्कृति ही हमको चाहिए.
इस कार्यक्रम में गिरीशभाई ठाकर (राष्ट्रिय उपाध्यक्ष, भारतीय ईतिहास संकलन संकलन योजना), उदयसिंहजी माहुरकर (Central Information कमिश्नर), प.पू. श्री महंत शांतिगीरीजी महाराज, प.पू. श्यामसुंदर दासजी महाराज आदि मंच पर उपस्थित रहे.