मैनपुरी, 14 नवंबर। मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारियां लगभग पूरी हैं। समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी लोकसभा का उपचुनाव पार्टी के लिए चुनौतियों से भरा है। खासकर लोकसभा के अंदर आने वाली दो विधानसभाएं सपा के लिए चिंता का सबब हैं। भोगांव और मैनपुरी विधानसभा सीट ने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव दोनों में ही सपा को झटका दिया था। इसलिए, पार्टी इन दोनों विधानसभाओं के वोटों को सहेजने पर विशेष फोकस करेगी।
वहीं, मैनपुरी लोकसभा सीट पर उप चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी सोमवार को शक्ति प्रदर्शन कर सकती है। पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव ने सोमवार को नामांकन दाखिल करने से पहले पति अखिलेश यादव के साथ मुलायम सिंह यादव की समाधि पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। तड़क-भड़क और शोर-शराबे से दूर बेहद सादे अंदाज में डिंपल पर्चा दाखिल करेंगी।
- शिवपाल की भूमिका पर भी नजरें
मुलायम को सबसे अधिक 62 हजार की लीड शिवपाल यादव की जसवंतनगर विधानसभा से मिली थी। 2019 में भी हालांकि शिवपाल सपा उम्मीदवार अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन मुलायम को लेकर उनका कोई विरोध नहीं था। इसलिए, सपा के खिलाफ होते हुए भी शिवपाल मुलायम के साथ थे। मुलायम के निधन के बाद शिवपाल अपनी सियासी महत्वाकांक्षाओं के विस्तार में लगे हैं। ऐसे में उनकी भूमिका भी सपा व भाजपा दोनों के ही लिहाज से अहम होगी।
शिवपाल सपा के खिलाफ सक्रिय हुए तो उसका फायदा भाजपा को मिलेगा और परिवार के साथ खड़े हुए तो डिंपल की राह आसान होगी। सपा यादव-मुस्लिम समीकरण के अलावा शाक्य जिलाध्यक्ष बनाकर गैर-यादव ओबीसी समीकरण साधने पर लगी है। वहीं, पिछले चुनावों में शाक्यों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही भाजपा इस बार भी उनके साथ की उम्मीद कर रही है।
मैनपुरी लोकसभा में ठाकुर वोटर भी प्रभावी संख्या में हैं और भाजपा ने मैनपुरी से ही विधायक जयवीर सिंह को मंत्री बना रखा है। चुनाव में बसपा की गैर-मौजूदगी में दलित वोटों को भी अपने पाले में करने की जुगत में लगी है। इसलिए, मैनपुरी से डिंपल की जीत के लिए सपा को जमीन पर काफी पसीना बहाना होगा।