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OBC कोटा को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई, अघाड़ी सरकार को झटका तो BJP के पास मौका

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मुंबई, 7 मई। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकाय चुनावों के कार्यक्रम को दो सप्ताह के भीतर अधिसूचित करने का निर्देश दिया है। एससी की बेंच ने कहा कि संबंधित स्थानीय निकायों के संबंध में 11 मार्च, 2022 से पहले के परिसीमन को पहले से विलंबित चुनावों के संचालन और उसी के आधार पर ऐसे प्रत्येक स्थानीय निकाय के संबंध में काल्पनिक परिसीमन के रूप में लिया जाना चाहिए।

महा विकास अघाड़ी (MVA) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के लिए यह झटका है, क्योंकि उसका मानना ​​था कि ये चुनाव सितंबर-अक्टूबर में हो सकते हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को डिप्टी सीएम अजीत पवार, राकांपा मंत्री छगन भुजबल, वरिष्ठ नौकरशाहों और महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी सहित वरिष्ठ मंत्रियों की उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी, ताकि इस मुद्दे पर विचार किया जा सके। सरकारी सूत्रों ने बताया कि बैठक में कहा गया कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा सुनिश्चित किया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें स्थानीय निकायों में ओबीसी कोटा को 27 प्रतिशत तक बहाल करने की सिफारिश की गई थी। साथ ही SEC भी सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहा था और एक अलग रुख अपना रहा था। अगर नया कानून नहीं बनाया गया होता तो ओबीसी कोटे के बिना चुनाव होते। ऐसे में एमवीए को ओबीसी समुदाय से काफी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता।

वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने अघाडी सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के लिए कोटा सुरक्षित करने में फेल रही है। परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने कहा, “स्थानीय निकायों में ओबीसी को राजनीतिक कोटा सुरक्षित करने में राज्य सरकार विफल रही है। हम सरकार के इस हालिया आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं कि इस कोटे को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”

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