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असद एनकाउंटर : बेटे के जनाजे में शामिल नहीं हो पाएगा माफिया अतीक, कानूनी पेंच के चलते नहीं मिली अनुमति

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प्रयागराज, 13 अप्रैल। माफिया अतीक अहमद कानूनी पेंच के चलते अपने बेटे असद की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो पाएगा। उसको बेटे असद के जनाजे में जाने की अनुमति नहीं मिल सकी है। अतीक को बेटे के एनकाउंटर का समाचार उस समय मिला, जब वह कोर्ट रूम में मौजूद था।

अतीक बोला – मेरे कृत्य की सजा मेरे बेटे को मिली है

कोर्ट रूम से बाहर निकलने के बाद अशरफ ने अतीक को असद और गुलाम का एनकाउंटर किए जाने की बात बताई तो माफिया कुछ देर के लिए बदहवास हो गया। इस दौरान उसने यह भी कहा, ‘यह सब मेरे कारण ही हुआ है। मेरे कृत्य की सजा मेरे बेटे को मिली है।’ इसके बाद उसने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट से बेटे के जनाजे में जाने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया।

चूंकि अतीक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर साबरमती जेल में बंद है। उमेश पाल हत्याकांड में आरोपित होने के चलते सीजेएम ने उसे कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश जारी किया था, जिसके अनुपालन में उसे कोर्ट में गुरुवार को पेश किया गया। असद के शव पर मां या बाप ही दावा कर सकते हैं, लेकिन दोनों इस समय मौजूद नहीं है। अतीक जहां जेल में बंद है वहीं असद की मां शाइस्ता परवीन फरार चल रही है। ऐसे में पोस्टमार्टम के बाद असद के शव को शाइस्ता के ससुर यानी असद के नाना को दिया जाएगा।

गुलाम के भाई ने शव लेने से किया इनकार

वहीं असद के साथ एनकाउंटर में मारे गए गुलाम हसन का शव उसके भाई राहिल हसन ने लेने से इनकार कर दिया है। गुलाम हसन अतीक का खास शूटर था और उस पर पांच लाख रुपये का ईनाम घोषित था। उसने उमेश पाल पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं। इसके बाद वह फरार हो गया था। उसके मेहंदौरी रसूलाबाद स्थित पुश्तैनी मकान को गत दिनों पीडीए ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था।

गुलाम का बड़ा भाई राहिल हसन भाजपा से जुड़ा था और भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष था। गुलाम का नाम उमेश पाल हत्याकांड में सामने आने के बाद भाजपा ने उसे पद से हटा दिया था। राहिल हसन ने पहले भी कहा था कि यदि गुलाम का एनकाउंटर होता है तो वह उसकी लाश को नहीं लेगा। गुरुवार को जब गुलाम मुठभेड़ में मारा गया तो राहिल हसन ने फिर वही बात दोहराई और कहा कि उसका भाई गुलाम अपराधी था। इसलिए वह उसका शव नहीं लेगा।

राहिल ने कहा, ‘गुलाम ने हमारे परिवार की छवि पूरे समाज में नष्ट कर दी। इससे हमारी काफी बदनामी हुई है। उसके चलते ही हमारा मकान ध्वस्त हो गया और हमारी बूढी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। मां हम सभी भाइयों को हमेशा ईमानदारी और नेक रास्ते पर चलने की सलाह देती थी, लेकिन उस पर इसका कोई असर नहीं हुआ और इसका परिणाम आज सामने है।’

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