जबलपुर, 3 मई। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बुधवार से प्रारंभ चिकित्सकों की राज्यव्यापी हड़ताल को गैरकानूनी करार देते हुए उन्हें तुरंत काम पर लौटने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि डीएसीपी लागू करने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों की इस हड़ताल पर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह फैसला है। इस फैसले से हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को झटका लग सकता है।
डॉक्टरों की हड़ताल गैरकानूनी
जबलपुर नगर निगम के पूर्व पार्षद इंद्रजीत कुंअर पाल सिंह ने 17 फरवरी 2023 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाकर डॉक्टरों की हड़ताल को चुनौती दी थी, जब डॉक्टर पहली बार हड़ताल पर गए थे। मध्य प्रदेश में आज दोबारा सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल की है। डॉक्टर वेतन और प्रमोशन संबंधी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। इसी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ ने अपने आदेश में कहा कि सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल गैरकानूनी है और वे तुरंत काम पर लौटें।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि आज भी कोई भी मरीज बिना इलाज के सरकारी अस्पताल से वापस नहीं जाना चाहिए। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में लिखा है कि इस आदेश के बाद सरकारी अस्पताल के डॉक्टर बिना कोर्ट की अनुमति लिए हड़ताल नहीं कर सकेंगे। सांकेतिक हड़ताल करने के पहले भी उन्हें कोर्ट को जानकारी देनी होगी।
जारी रही हड़ताल तो मानी जाएगी कोर्ट की अवमानना
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्र की बैंच ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टरों की हड़ताल के सामने संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। यदि डॉक्टर हड़ताल जारी रखते हैं तो यह कोर्ट की अवमानना होगी।
गौरतलब है कि इसके पहले वकीलों ने हड़ताल की थी और वकीलों की हड़ताल को मुख्य न्यायाधीश ने गैरकानूनी घोषित कर दिया था। इसके बाद हड़ताल करने वाले वकीलों को नोटिस जारी की गई थी। यदि इस मामले में भी डॉक्टर हड़ताल पर रहे तो हो सकता है कि कोर्ट उन्हें नोटिस जारी कर दे।