लखनऊ, 4 अक्टूबर (PTI)। दुर्गा पूजा से पहले लखनऊ में कारीगरों ने माता रानी की ईको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार करना शुरू कर दिया है। चंदन राजपूत पिछले तीन दशकों से गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा सहित विभिन्न त्योहारों के लिए मूर्तियाँ बना रहे हैं।
मूर्ति बनाने वाले चंदन रावत ने कहा कि, “मेरी मां ने 30 साल पहले इसकी शुरुआत की थी, हम सिर्फ दो से चार मूर्तियां ही बनाते थे, लेकिन जैसे-जैसे नवरात्रि और जागरण का चलन बढ़ा, हमारा काम बढ़ता गया। वर्तमान में हमारे पास लगभग 300-400 मूर्तियाँ हैं। हमें लखनऊ के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों और उससे भी आगे से ऑर्डर मिलते हैं। हम गणेश पूजा के साथ-साथ नवरात्रि के लिए भी मूर्तियाँ बनाते हैं।”
मूर्ति बनाने वाले कई कलाकार कोलकाता से लखनऊ आते हैं। मूर्तियों को तैयार करने के लिए धान के भूसे, बांस और मिट्टी जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। मूर्तिकार ने कहां कि, ये मूर्तियां हाथ से तैयार की गई हैं। इन्हें बनाने में लकड़ी, बंबू और धागे का इस्तेमाल किया गया है। मूर्ति का शुरुआती ढांचा तैयार करने में दो-तीन घंटे लगते हैं। पूरी मूर्ति तैयार करने में करीब 10 घंटे का वक्त लगता है।”
मूर्तियों को तैयार करने के बाद उन पर बहुत सावधानी से और बारीकी से पेंटिंग की जाती है। रजनीकांत नाम के मूर्तिकार ने कहा कि, मूर्तियां बनाने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है। मैं देवी और उसके शेर का चित्रण करता हूँ। सारा काम आम तौर पर मशीन से होता है और डिटेलिंग ब्रश से होती है। अगर हमें उचित जगह मिले तो 15 से 20 मूर्तियों को आसानी से रंग देते हैं।
बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा पूरे देश में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें शक्ति का अवतार माना जाता है।