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उपराज्यपाल दिल्ली की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद करने की भाजपा की साजिश का समर्थन न करें : सिसोदिया

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नई दिल्ली, 13 जनवरी। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बार फिर से भाजपा पर हमला बोला। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भाजपा स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के प्रयासों को रोकने के उद्देश्य से ‘‘गंदी राजनीति” कर रही है। यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि अभी तक 1,100 शिक्षकों ने सिंगापुर, ब्रिटेन और फिनलैंड समेत विदेशों में प्रशिक्षण लिया है।

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि अब जब भाजपा के लोगों की सेवा विभाग पर ‘‘अनधिकृत पकड़” है तो वे दिल्ली में आप सरकार को, शिक्षकों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण देने से रोकने के लिए, ‘‘गंदी राजनीति कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना बच्चों के भविष्य की परवाह करते हैं और उनकी शिक्षा में बाधा पहुंचाना नहीं चाहते तो उन्हें ‘‘भाजपा के षडयंत्र में उनका साथ नहीं देना चाहिए।

सिसोदिया के आरोपों पर अभी भाजपा या उपराज्यपाल सचिवालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उपमुख्यमंत्री ने दावा किया कि हम 30 शिक्षकों के एक बैच को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजना चाहते थे। उपराज्यपाल ने किसी न किसी बहाने से इसमें देरी की।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने के दिल्ली सरकार के प्रयासों को रोकने के लिए ‘‘अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल” करने की कोशिश कर रही है। सिसोदिया ने पत्रकारों से कहा कि हमने शिक्षकों को फिनलैंड भेजा क्योंकि यह शिक्षा में सुधार लाने वाले सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है।

हम अपने शिक्षकों को ऐसे अंतरराष्ट्रीय मानकों से अवगत कराना चाहते है क्योंकि शिक्षा का स्तर ऊंचा करने में शिक्षकों का योगदान होता है। उन्होंने कहा कि भाजपा यह नहीं जानती क्योंकि उनका शिक्षा से कुछ लेना-देना नहीं है। सिसोदिया ने कहा कि शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने से संबंधित फाइल फिर से उपराज्यपाल को भेजी जाएगी।

उन्होंने दावा किया कि हमने शिक्षकों की फिनलैंड यात्रा की फाइल उपराज्यपाल को भेजी थी और उन्होंने पूछा था कि अगर ऐसा प्रशिक्षण भारत में दिया जा सकता है तो इसकी लागत-लाभ का विश्लेषण क्या होगा।” सिसोदिया ने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री विश्व आर्थिक मंच की बैठक में शामिल होने जाएंगे। क्या लागत-लाभ विश्लेषण की आड़ में उन्हें भी रोका जाएगा?