नई दिल्ली, 18 नवम्बर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र के लिए समावेशी विकास जरूरी होता है और चर्चा, संवाद एवं विचार विमर्श के माध्यम से ही समावेशी विकास हो सकता है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, बिरला ने मुंबई में लेखाकारों की 21वीं विश्व कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही मानवता के साझे भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे उपयुक्त मार्ग है।
ओम बिरला ने कहा कि समृद्ध आर्थिक तंत्र स्थापित करने में व आर्थिक बदलाव के वाहक के रूप में चार्टर्ड एकाउंटेंट की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि अब सारी दुनिया एक है और दुनिया में सामाजिक, आर्थिक सहित कोई संकट आता है तो उसका प्रभाव सभी देशों पर पड़ता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा, संवाद और विचार विमर्श के माध्यम से समावेशी विकास होता है। आज पूरा विश्व लोकतंत्र को शासन की सर्वश्रेष्ठ पद्धति मान रहा है और इसे अपना रहा है। उन्होंने कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक चुनौतियां का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान वैश्विक मंचों पर चर्चा व संवाद करके ही निकाला जा सकता है।
बिरला ने आह्वान किया, ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट अपनी दक्षता और कार्य प्रणाली से लोकतंत्र को और मजबूत करें।’ उन्होंने कहा कि विश्व पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव और डिजिटल अर्थव्यवस्था में आए परिवर्तन के कारण आज चार्टर्ड एकाउंटेंट की भूमिका बहुत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि आज वैश्वीकरण और डिजिटल अर्थव्यवस्था ने हमारे सामने नई चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ होने के कारण, चार्टर्ड एकाउंटेंट इस परिवर्तन को अच्छी तरह समझते हैं।