नई दिल्ली, 16 जून। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) से पांच सांसदों के अलग होने के कारण उत्पन्न विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस क्रम में एलजेपी में बचे इकलौते सांसद चिराग पासवान ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कहा है कि पशुपति पारस पासवान को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित करने का निर्णय पार्टी के संविधान के प्रावधान के खिलाफ है। चिराग ने इसके साथ ही लोस अध्यक्ष से अपने पक्ष में नया सर्कुलर जारी करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को छोड़कर पार्टी के बचे पांच सांसदों ने चिराग के चाचा पशुपति पारस को अपना नेता मान लिया है। इन सांसदों ने सोमवार को ही लोकसभा अध्यक्ष को एक चिट्ठी प्रेषित कर उन्हें अवगत करा दिया था कि पशुपति पारस पार्टी के संसदीय दल के नए नेता बनाए गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष की ओर से इसे मंजूर भी कर लिया गया है।
इस लिहाज से देखें तो आधिकारिक तौर पर दिवंगत नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस लोकसभा में अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता होंगे। इस घटनाक्रम से पहले यह पद चिराग पासवान के पास था।
जिन पांच सांसदों ने चिराग से अलग होने का फैसला लिया है उनमें पशुपति पारस के अलावा प्रिंस राज (चचेरे भाई), चंदन सिंह, वीणा देवी और चौधरी महबूब अली कैसर भी शामिल हैं। यानी चिराग पार्टी में बिल्कुल अकेले रह गए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि चिराग की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को लिखे गए पत्र का क्या जवाब मिलता है।
सारे घटनाक्रम का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पशुपति पारस सहित अन्य सदस्यों ने मंगलवार को चिराग पासवान को पार्टी के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया। इन नेताओं ने एलजेपी संविधान का हवाला देते हुए कहा था कि चिराग तीन-तीन पदों पर एक साथ काबिज थे। इसके जवाब में मंगलवार की शाम को ही चिराग ने इन पांचों सांसदों को पार्टी से निकालने की घोषणा कर दी।