जयपुर, 19 सितम्बर। रामजन्म भूमि आंदोलन के अग्रणी संत और हिन्दू नेता आचार्य धर्मेंद्र का सोमवार को निधन हो गया। 80 वर्षीय आचार्य धर्मेंद्र लंबे समय से आंत की बीमारी से पीड़ित थे। पिछले 20 दिनों से उन्हें स्थानीय सवाई मान सिंह (एसएमएस) सरकारी अस्पताल में जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) पर रखा गया था। यही पर आज पूर्वाह्न उन्होंने आखिरी सांस ली।
- धर्मक्षेत्र में शोक की लहर, पीएम मोदी सहित अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया
आचार्य धर्मेंद्र निधन के समाचार से धर्मक्षेत्र के लोगों के बीच शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। हाल ही में पीएम मोदी व लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने आचार्य धर्मेंद्र के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। पीएम मोदी ने अपनी शोक संवेदना में कहा, ‘ समाज और राष्ट्रसेवा में समर्पित श्रीमद् पंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेंद्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना धार्मिक और आध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे। ओम शांति!’
समाज और राष्ट्रसेवा में समर्पित श्रीमद् पंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेंद्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना धार्मिक और आध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे। ओम शांति!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 19, 2022
राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी आचार्य धर्मेंद्र के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी पुण्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है। राज्यपाल ने शोक संतप्त परिजनों को दुख की इस घड़ी में संबल प्रदान करने की ईश्वर से कामना भी की।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक ट्वीट में कहा, ‘प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त आचार्य धर्मेंद्र जी महाराज बैकुंठ धाम वासी हो गए। राम मंदिर निर्माण आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पूज्य संत का इहलोक छोड़ जाना सर्व समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।’
प्रसिद्ध समाचार पोर्टल रिवोई (रियल वॉयस ऑफ इंडिया) के संयुक्त प्रबंध निदेशक अमृतभाई आल और पूरे रिवोई परिवार ने भी धर्मेंद्र महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी।
- राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय थे आचार्य धर्मेंद्र
आचार्य धर्मेंद्र ने राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। साथ ही विश्व हिन्दू
बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती सहित आचार्य धर्मेंद्र को भी आरोपित माना गया था। बाबरी विध्वंस मामले में जब फैसला आने वाला था, तब आचार्य धर्मेंद्र ने कहा था, ‘मैं आरोपित नंबर वन हूं। सजा से डरना क्या? जो किया सबके सामने किया।’
- गुजरात में जन्मे आचार्य धर्मेंद्र ने जयपुर को बनाया कर्मस्थली
महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के पुत्र आचार्य धर्मेंद्र का जन्म नौ जनवरी, 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ। उनपर पिता महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के आदर्शों और व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ा। आचार्य ने मात्र 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला।
आचार्य धर्मेंद्र का जयपुर के दिल्ली रोड पर कोठपूतली के नजदीक विराटनगर में मठ है। वह इसी मठ में रहकर साधना करते थे। श्रीपंचखंड पीठ में साधना करने वाले आचार्य धर्मेंद्र महाराज विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक रहे और गायों की हत्या से जुड़े बड़े आंदोलनों की अनुवाई की। आचार्य धर्मेंद्र की बहू अर्चना शर्मा राजस्थान के समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष हैं।