नई दिल्ली, 29 अप्रैल। दिवंगत आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने बिहार के बाहुबली नेता व शिवहर के पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय पूर्व रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। आनंद मोहन को बिहार के जेल नियमों में संशोधन के बाद बीते गुरुवार की सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था।
स्मरण रहे कि तेलंगाना के महबूब नगर निवासी और गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की पांच दिसम्बर, 1994 को एक भीड़ ने उस वक्त पीट-पीटकर हत्या कर दी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी। तत्कालीन विधायक आनंद मोहन शवयात्रा में शामिल थे। आरोप लगा कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था।
उमा कृष्णैया ने तर्क दिया है कि गैंगस्टर से राजनेता बने आजीवन कारावास की सजा का मतलब उसके पूरे प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास है और इसे केवल 14 साल तक यांत्रिक रूप से व्याख्यायित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा, ‘जब मृत्यु दंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती।’
आनंद मोहन का नाम उन 20 कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने इस हफ्ते की शुरूआत में एक अधिसूचना जारी की थी क्योंकि वे जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं। बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किये जाने के बाद सजा घटा दी गई जबकि ड्यूटी पर मौजूद लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पहले पाबंदी थी।