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लता मंगेशकर के परिवार की दो टूक – शिवाजी पार्क में लता जी के नाम पर न बने कोई स्मारक

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मुंबई, 12 फरवरी। ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर के परिवार ने इस प्रस्ताव पर सख्त ऐतराज जताया है कि दिवंगत महान गायिका के नाम पर शिवाजी पार्क में किसी तरह का कोई स्मारक बने। उनके छोटे भाई और जानेमाने संगीत निर्देशक हृदयनाथ मंगेशकर ने कहा कि वह शिवाजी पार्क में अपनी बहन लता मंगेशकर की याद में किसी भी तरह के स्मारक बनाने के खिलाफ हैं।

महाराष्ट्र कांग्रेस ने मंगेशकर परिवार का किया समर्थन

महाराष्ट्र कांग्रेस ने भी मंगेशकर परिवार के इस स्टैंड को सही करार देते हुए उसका समर्थन किया। महाराष्ट्र राज्य कांग्रेस महासचिव सचिन सावंत ने कहा कि इस विशाल पार्क की स्थापना वर्ष 1925 में तत्कालीन बॉम्बे नगर निगम द्वारा ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी और महान मराठा योद्धा के नाम पर इसे ‘शिवाजी पार्क’ नाम दिया गया था। मराठी लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इस मैदान का नाम शिवाजी पार्क रखने की अनुमति दी थी और साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज की घोड़े पर बैठी हुई प्रतिमा भी स्थापित की गई थी।’

भाजपा पर गंदी राजनीति करने के लगाया आरोप

सावंत ने कहा कि चूंकि पार्क पहले से ही छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित एक स्मारक है तो ऐसे में उस जगह पर लता दीदी के नाम कैसे स्मारक बनाया जा सकता है। भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘भाजपा लता मंगेशकर के स्मारक के नाम पर गंदी राजनीति कर रही है। एक तरफ तो इसकी मांग कर रही है वहीं दूसरी ओर उसी पार्टी पार्टी के कार्यकर्ता अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर मांग कर रहे हैं कि शिवाजी पार्क में लता दीदी का स्मारक न बने।’

भाजपा कार्यकर्ता की हाई कोर्ट में याचिका, पार्क के दुरुपयोग पर रोक लगाने की मांग

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता दादर निवासी प्रकाश बेलवाडे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर शिवाजी पार्क में होने वाले सार्वजनिक अंत्येष्टि या स्मारकों के लिए ‘क्रिकेट की जमीन’ कहे जाने वाले इस 28 एकड़ के मैदान के दुरुपयोग पर रोक लगाने की मांग की है।

शिवसेना पहले ही खारिज कर चुकी है स्मारक बनाने की मांग

इसके पूर्व भाजपा विधायक राम कदम और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले जैसे सियासी नेताओं ने दिवंगत लता मंगेशकर के नाम पर शिवाजी पार्क में स्मारक बनाने की मांग की थी, लेकिन शिवसेना ने इस मांग को राजनीतिक बताते हुए उनकी मांग खारिज कर दी थी।