नई दिल्ली, 24 नवंबर। देश की घरेलू कोरोनारोधी वैक्सीन भारत बायोटेक निर्मित कोवैक्सीन की दोनों खुराक लक्षण वाले कोरोन मरीजों में 50 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है। ऐसा दावा लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में किया गया है।
दिल्ली एम्स में मरीजोें पर किए गए अध्ययन का निष्कर्ष
दरअसल, दिल्ली एम्स में यह अध्ययन 15 अप्रैल से 15 मई तक 2,714 मरीजों पर किया गया, जिनमें कोरोना के लक्षण थे और जिनकी आरटी-पीसीआर जांच भी की गई। उस समय भारत में कोरोना का डेल्टा वैरिएंट कहर बरपा रहा था और 80 प्रतिशत मामलों में यही वैरिएंट पाया गया था।
डब्ल्यूएचओ ने इसी माह भारत बायोटेक की वैक्सीन को दी है मंजूरी
गौरतलब है कि भारत बायोटेक, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा विकसित कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) ने इसी माह आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है। इस वैक्सीन की दोनों खुराक 28 दिन के अंतराल में दी जाती है।
इससे पहले, लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट में सामने आया था कि कोवैक्सीन सिम्टोमैटिक कोविड-19 के खिलाफ 77.8% प्रभावी है और B.1.617.2 डेल्टा के खिलाफ 65.2% प्रभावी पाई गई थी।
दिल्ली एम्स में मेडिसिन के प्रोफेसर मनीष सोनेजा ने कहा, ‘हमारा अध्ययन इस बात की पूरी तस्वीर पेश करता है कि BBV152 (कोवैक्सीन) का प्रदर्शन कैसा है। इसे भारत में कोविड-19 की वृद्धि की स्थिति के संदर्भ में माना जाना चाहिए, जो डेल्टा संस्करण की संभावित प्रतिरक्षा क्षमता के साथ संयुक्त है।’ उन्होंने कहा कि स्टडी के निष्कर्ष से स्पष्ट है कि टीकाकरण अभियान महामारी नियंत्रण के लिए सबसे प्रमुख हथियार है।