नई दिल्ली/पटना, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रयाद यादव को एक और राहत मिली, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तीन वर्ष पुराने डीएलएफ रिश्वत मामले में सबूतों के अभाव में उन्हें क्लीन चिट दे दी है। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि यह क्लीन चिट अभी नहीं बल्कि पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ल के कार्यकाल में दी गई थी।
गौरतलब है कि 72 वर्षीय लालू यादव इन दिनों जमानत पर बाहर हैं। गत अप्रैल माह में उन्हें खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई थी। इसके पहले चारा घोटाले से संबंधित कई मामलों में वह लगभग तीन वर्षों तक जेल में थे।
सूत्रों के अनुसार सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने जनवरी, 2018 में कथित भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व रेल मंत्री लालू यादव और रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ समूह के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की थी। लालू यादव पर आरोप लगाया गया था कि डीएलएफ समूह मुंबई बांद्रा स्टेशन के अपग्रेडेशन और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन प्रोजेक्ट को हासिल करने की कोशिश में था और इसी दौरान उन्हें कथित रिश्वत के तौर पर साउथ दिल्ली के एक पॉश इलाके में संपत्ति खरीदकर दी थी।
पांच करोड़ रु. की संपत्ति सिर्फ चार लाख में खरीदने का आरोप लगा था
आरोप के अनुसार एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड नामक शेल कम्पनी द्वारा वर्ष 2007 में साउथ दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पांच करोड़ की कीमत का एक फ्लैट खरीदा गया था। यह कम्पनी लेक्सिस इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी शेल कम्पनियों के माध्यम से वित्तपोषित की गई थी। ये कम्पनियां डीएलएफ होम डेवलेपर्स द्वारा फंडेड थीं जबकि वास्तविक सर्किल रेट के आधार पर संपत्ति की कीमत 30 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
वर्ष 2011 में लालू यादव के बच्चों – तेजस्वी यादव, चंदा यादव और रागिनी यादव ने कथित तौर पर एबी एक्सपर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों को मात्र चार लाख रुपये में ट्रांसफर कर लिया था, जिसके कारण वे पांच करोड़ की संपत्ति के मालिक बन गए थे। जांच एजेंसी ने इस मामले में प्रवीण जैन और अमित कात्याल नाम के दो लोगों को बिचौलियों के रूप में नामित किया था। इन्हीं दोनों शख्सों ने कथित तौर पर कम्पनी और लालू यादव के बीच खरीद बिक्री कराई थी। सूत्रों ने बताया कि दो साल की जांच के बाद इस केस की पड़ताल बंद कर दी गई है क्योंकि आरोपों के आधार पर कोई मामला नहीं बन रहा था।