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ललन सिंह का एलान – नीतीश कुमार पीएम पद के उम्मीदवार नहीं, लोकसभा चुनाव में जीत के बाद होगा फैसला

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पटना, 11 जून। भाजपा के खिलाफ 23 जून को पटना में प्रस्तावित विपक्षी दलों की बड़ी बैठक से पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एलान किया कि नीतीश कुमार  विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। उन्होंने कहाकि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह तय होगा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा। जिस तरह से 23 जून को बैठक होने वाली है, उसी तरह से चुनाव जीतने के बाद बैठक होगी और पटना में तय होगा कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा।

दरअसल, जदयू प्रदेश कार्यालय में आज आयोजित मिलन समारोह को संबोधित करते हुए ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने भाजपा मुक्त देश बनाने का संकल्प लिया है। एनडीए को छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने का फैसला लिया। इसके बाद से वह लगातार विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए हैं।

फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की भी बैठक में भागीदारी होगी

ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल रंग लाई है और 23 जून को सभी विपक्षी दलों के नेता पटना आ रहे हैं। 18 दलों के बड़े नेता बैठक में शामिल होने के लिए पटना आ रहे हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी बैठक में आने के लिए राजी हो गए हैं। इस बैठक में 2024 के लोगसभा चुनाव को लेकर रणनीति तय होगी।

नारा लगाने पर नाराजगी जाहिर की

ललन सिंह ने सम्मेलन समारोह के दौरान ‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो’ का नारा लगाने वाले नेताओं पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘कार्यकर्ता और नेता इस तरह का नारा ना लगाएं। इस तरह का नारा लगाने से विपक्षी एकता की मजबूती कम होती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुहिम को कमजोर करने जैसा है। इसलिए हम आग्रह करेंगे कि इस तरह की नारेबाजी कृपया ना करें।’

केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला

वहीं केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए ललन सिंह ने कहा कि केंद्र की सरकार लोगों को डराकर काम करना चाहती है। केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर सता का खेल किया जा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ में कोई मीडिया भी बोलना नहीं चाहता है। राहुल गांधी के सदस्यता जाने पर पांच दिन डिबेट होता है। देश में धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की जा रही है। आज हर चीज खतरे में हैं। आज लोकतंत्र कही बचा है क्या? पहले घोषित इमरजेंसी थी, लेकिन आज अघोषित इमरजेंसी है। उन्हें मालूम होना चाहिए कि धार्मिक उन्माद फैलाने से वोट नहीं मिलता है। कर्नाटक चुनाव परिणाम इसका उदाहरण है। पीएम मोदी को कर्नाटक की जनता ने नकार दिया और वह वहां चुनाव नहीं जीत पाए।

 

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