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यूपी विधान परिषद : लाल बिहारी यादव नेता प्रतिपक्ष, अखिलेश ने किरण पाल को नियुक्त किया मुख्य सचेतक

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लखनऊ, 22 जुलाई। समाजवादी पार्टी (सपा) को उत्तर प्रदेश के उच्च सदन यानी विधान परिषद में दो वर्ष बाद नेता प्रतिपक्ष का ओहदा वापस मिल गया है। इस क्रम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी के जुझारू एमएलसी लाल बिहारी यादव को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का फैसला किया है। वहीं किरण पाल कश्यप को विधान परिषद का मुख्य सचेतक, आशुतोष सिन्हा को सचेतक और मो. जासमीर अंसारी को विधान परिषद का उप नेता नियुक्त किया गया है।

अखिलेश यादव ने लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दिए जाने की चिट्टी विधान परिषद के सभापति को भेज दी है। अब 29 जुलाई से विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू होगा, तब शिक्षकों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले लाल बिहारी यादव नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से अपनी नई टीम के साथ योगी सरकार की नीतियों की बखिया उधेड़ेंगे।

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि विधान परिषद में सपा को नेता प्रतिपक्ष का दोबारा ओहदा वापस पाने पर अखिलेश यादव ने जिन पार्टी नेताओं पर भरोसा जताया है, वे सभी जुझारू प्रवृत्ति के हैं। इनमें मो. जासमीन अंसारी को, जिन्हे परिषद में उप नेता बनाया गया, वर्ष 2022 में अखिलेश ने परिषद भेजा था। उनकी पत्नी कैसर जहां भी सांसद रह चुकी हैं।

वहीं मुख्य सचेतक बनाए गए किरनपाल कश्यप और सचेतक बनाए गए आशुतोष सिन्हा भी अपने क्षेत्र में जनता की आवाज उठाते रहते हैं। उच्च सदन में इन चेहरों के जरिए सपा मुखिया ने पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के साथ ही अपने परंपरागत मुस्लिम-यादव समीकरण को भी मजबूत किया है।

आजमगढ़ से ताल्लुख रखते हैं लाल बिहारी यादव

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए लाल बिहारी यादव आजमगढ़ से ताल्लुख रखते हैं। एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले लाल बिहारी यादव वर्ष 2020 में हुए वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर एमएलसी बने थे। शिक्षकों के हितों और उनके अधिकारियों की लड़ाई लड़ने वाले लाल बिहारी यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ वित्त विहीन गुट के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वित्त विहीन शिक्षकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए वर्ष 2004 में उन्होंने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (वित्तविहीन गुट) का गठन किया था।

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