लखनऊ, 4 अप्रैल। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा। एसआईटी ने कहा कि हमने किसानों को कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए यूपी सरकार से दो बार कहा। लेकिन आशीष मिश्रा की जमानत रद्द नहीं हुई। बता दें कि लखीमपुर हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
- जानें एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दाखिल की गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो बार मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की थी। लेकिन जमानत रद्द करने पर कोई विचार नहीं किया गया है। इसकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उस जगह पर थे, जिसमें आठ लोग मारे गए थे, और वे अक्तूबर में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा अपनाए गए मार्ग में बदलाव के बारे में जानते थे।
- सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 अप्रैल तक रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए कहा था
इस मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ ने 30 मार्च को यूपी सरकार से 4 अप्रैल तक उन रिपोर्ट पर जवाब मांगा था, जिनमें रिटायर्ड जज की निगरानी में बनी एसआईटी ने जमानत रद्द करने का सुझाव दिया था। शीर्ष अदालत ने पाया कि एसआईटी ने अपर मुख्य सचिव (गृह) को दो पत्र लिख कर मामले के मुख्य आरोपी की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का सुझाव दिया था। तब यूपी सरकार के वकील महेश जेठमलानी ने पीठ को सूचित किया था कि उन्हें कोई पत्र प्राप्त नहीं हुए हैं। इस पर पीठ ने जेठमलानी से कहा था कि एसआईटी की रिपोर्ट पढ़कर 4 अप्रैल तक जवाब दाखिल कीजिए।