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यूपी के बहराइच में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर भड़के दोनों समुदाय के लोग, चश्मदीदों ने बताया आंखों-देखा हाल

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बहराइच 19 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद के महाराजगंज क़स्बे में बीते दिनों दुर्गा मूर्ति विसर्जन की शोभायात्रा के दौरान हुए सांप्रदायिक हिंसा में हिंदू पक्ष के एक युवक रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के दूसरे दिन पूरे इलाके में हिंसा भड़क उठी और दंगाइयों ने कई घरों, दुकानों में आग लगाते हुए जमकर तोड़फोड़ की। जिससे माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया था। बहराइच से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया। शासन और प्रशासन की मुस्तैदी के बाद हिंसा पर काबू पाया गया। हालांकि अब हालात सामान्य हो रहे हैं। पुलिस ने रामगोपाल हत्याकांड में शामिल 6 आरोपियों समेत दोनों पक्षों से अबतक 87 लोगों को गिरफ्तार किया है।

वह इस सांप्रदायिक हिंसा लेकर जमकर सियासत भी देखने को मिल रही है। दोनों तरफ से आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इस बीच महसी के महाराजगंज में 13 अक्टूबर को आखिर क्या हुआ था? क्यों दुर्गा विसर्जन की यात्रा पर पथराव हुआ, इसके पीछे की असल वजह क्या थी? इसे लेकर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई हैं। चश्मदीदों ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया कि असल में उस दिन क्या हुआ था।

मीडिया जब हिंसा की असली वजह जानने के लिए इलाके के मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की तो चश्मदीदों ने बताया कि उस दिन दुर्गा मुर्ति विसर्जन यात्रा के दौरान डीजे पर आपत्तिजनक गाने बज रहे हैं जिसमें हमारे धर्म का अपमान करने की कोशिश की जा रही थी। जब हमने रोक तो एक लड़का (राम गोपाल) अब्दुल हमीद के घर पर चढ़ गया और हमारे धार्मिक झंडे को उतार दिया। जिसके बाद वहां पथराव होने लगा। जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ हिंदू पक्ष के लोगों का कहना है कि गानों में कोई दिक्कत नहीं थी। हम गाने बजाकर दुर्गा विसर्जन यात्रा निकाल रहे थे, लेकिन उन्हें हमारे धर्म से दिक्कत है। कुछ दिन पहले बारावफात के समय उन्होंने (मुस्लिम समुदाय) पूरी सड़क को अपने झंडों से सजा रखा था। जब हमारा पर्व आया और जब हमने अपने झंडों से पूरी सड़क को सजाया तो उन्हें इस बात पर आपत्ति हो गई।

चश्मदीदों ने दावा किया कि मुस्लिम पक्ष की ओर से पहले पत्थर फेंक कर हमारी मूर्तियों को खंडित किया गया। हम जिसको पूजते हैं उसको खंडित होते हुए कैसे देख सकते हैं। मूर्तियां जब खंडित हुई तभी प्रतिशोध में रामगोपाल छत पर चढ़ा और जाकर झंडा उतारा। लोग ये कह रहे हैं झंडा उतरना बहुत ठीक नहीं था लेकिन, ये क्रिया की प्रतिक्रिया थी।

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