नई दिल्ली, 8 अगस्त। लोकसभा में गुरुवार को वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किए जाने के बाद विपक्ष भले ही इसे संघीय व्यवस्था पर हमला करार देते हुए इसका जबर्दस्त विरोधा किया है, लेकिन सत्तापक्ष की तरफ से केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विस्तार से बताया कि क्यों इस विधेयक को लाने की जरूरत पड़ी। उन्होंने यहां तक कहा कि चंद लोगों ने पूरे वक्फ बोर्ड पर कब्जा करके रखा है और आम मुस्लिम लोगों को जो न्याय-इंसाफ नहीं मिला, उसे सही करने के लिए यह बिल लाया गया है।
किरेन रिजिजू ने विपक्ष से इस बिल का समर्थन करने का आग्रह करते हुए कहा कि, ‘इस बिल का समर्थन कीजिए, करोड़ों लोगों की दुआ आपको मिलेगी। यह इतिहास में दर्ज होगा कि इस बिल का किसने समर्थन किया है और किसने विरोध किया है।’
संविधान के किसी भी अनुच्छेद का इसमें उल्लंघन नहीं किया गया
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने बिल के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि आर्टिकल 25 से लेकर 30 तक किसी में भी धार्मिक बॉडी में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है और न ही संविधान के किसी भी अनुच्छेद का इसमें उल्लंघन किया गया है। इसमें हमने जो बदलाव किए हैं, उसमें किसी का हक छीनने की बात नहीं है वरन जिनको हक नहीं मिला है, उनको देने के लिए यह बिल लाया गया है। इसमें महिलाओं, बच्चों व मुस्लिम समुदाय पिछड़े लोगों को जगह देने के लिए यह बिल लाया गया है।
विपक्ष ने जो तर्क दिए हैं, वो स्टैंड नहीं करते
किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए जो तर्क दिए हैं, वो स्टैंड नहीं करते। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का भी जिक्र किया और कहा कि ये कॉन्क्रीट में है, भारत सरकार को बिल लाने का अधिकार है।
वक्फ अमेंडमेंट बिल पहली बार सदन में पेश नहीं किया जा रहा
उन्होंने कहा, ‘सबके प्वॉइंट मैंने नोट किए। मैं बारी-बारी से कहना चाहता हूं कि कि यह वक्फ अमेंडमेंट बिल पहली बार सदन में पेश नहीं किया जा रहा है। अंग्रेजों के जमाने से लेकर, आजादी के बाद सबसे पहले यह एक्ट 1954 में लाया गया था, उसके बाद कई-कई अमेंडमेंट हुए हैं। हम सदन जो अमेंडमेंट लाने जा रहे हैं। वर्ष 2013 में जो अमेंडमेंट लाया गया, इसमें पूरे वक्फ के परपज और इंटेशन को उलटा करके रख दिया गया। इसी वजह से आज हम अमेंडमेंट लाए हैं।’
वक्फ संशोधन बिल पहली बार इस सदन में पेश नहीं किया जा रहा. आजादी के बाद एक्ट लाया गया 1954 में. उसके बाद कई अमेंडमेंट हुए. हम 1995 के कानून में संशोधन के लिए बिल ला रहे हैं क्योंकि 2013 में ऐसे प्रावधान लाए गए जिसने वक्फ एक्ट 1995 का स्वरूप बदल दिया. #LokSabha में @KirenRijiju pic.twitter.com/9EEkoAdGUr
— SansadTV (@sansad_tv) August 8, 2024
1955 में जो प्रावधान लाए गए, उसमें कई गलतियां पाई गईं
रिजिजू ने कहा कि 1995 में जो भी प्रावधान लाए गए थे, उसका कई लोगों ने अलग-अलग असेसमेंट किया है। कई कमेटियों और लोगों ने उसका अध्ययन किया है। पता चला कि जिस परपज के लिए बिल लाया गया था, वो उद्देश्य सफल नहीं हुए और कई गलतियां उसमें पाई गई हैं। मैं आज इस सदन में कहना चाहता हूं कि कि आप लोगों (कांग्रेस) ने जो भी कदम उठाया है, जो आप नहीं कर पाए, उसी को पूरा करने हम ये संशोधन कर रहे हैं।
लखनऊ के एक केस का जिक्र कर अखिलेश यादव पर साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री ने कई उदाहरण सामने रखे, जिनमें वक्फ बोर्ड को आगे कर धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने लखनऊ की डॉक्टर बारिया बुशरा फातिमा के केस का जिक्र करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा और बोले, ‘वो महिला बच्चे के साथ किस मुश्किल हालात में जी रही हैं। जो प्रॉपर्टी इनके पिताजी की थी, उनके गुजर जाने के बाद उन्हें (बुशरा फातिमा) और उनके बच्चे को नहीं मिलेगी। अखिलेश जी, आप मुख्यमंत्री थे, किसी ने आपको नहीं बताया। धर्म की नजर से नहीं, इंसाफ के नजरिये से देखिए। इल्जाम लगाकर भागने की कोशिश मत करिए।’
वक्फ इन्क्वायरी रिपोर्ट कहती है – वक्फ बोर्ड मुतावलिस के कब्जे में है
किरेन रिजिजू ने कहा, ‘1976 में वक्फ इन्क्वायरी रिपोर्ट पेश की गई थी, उसमें जो बड़ी रिकमडेशन आई है, वो बताता हूं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सारा वक्फ बोर्ड मुतावलिस के कब्जे में चला गया है। उसको डिसिप्लेन करने के लिए प्रॉपर कदम उठाए जाने चाहिए। आपस में जो मतभेद हैं, उनको सॉल्व करने के लिए ट्राइब्यूनल होना चाहिए। उसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड में ऑडिट और अकाउंट्स का सिस्टम प्रॉपर नहीं है, उसका पूरा प्रबंधन होना चाहिए। उसमें सुधारों की वकालत की गई है।’
कांग्रेस के कार्यकाल में गठित सच्चर कमेटी की सिफारिशों का भी हवाला दिया
रिजिजू ने पूर्ववर्ती सरकारों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस के समय दो कमेटी बनाई गई थी, जिसमें एक जस्टिस राजेंद्र सच्चर के नेतृत्व में 2005 में गठित की गई थी। ये विशेष रूप से मुस्लिमों और उनके वेलफेयर के लिए गठित की गई थी और रिपोर्ट के बारे में सबको पता है।
रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टीज से होने वाली वार्षिक आय कहीं से भी न्यायसंगत नहीं
उन्होंने बताया कि सच्चर कमेटी की पहली संस्तुति में वक्फ प्रापर्टी से होने वाली वार्षिक आय को लेकर है। 4.9 लाख रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टीज से सिर्फ 100.63 करोड़ ही आमदनी जनरेट होती है, जो किसीभी रूप से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता। इसके मार्केट के तरीके से मैनेज होना चाहिए। जिस समय सच्चर कमेटी ने सिफारिश की थी, उस समय 12000 करोड़ रुपये साल के मिलते थे, यानी इसकी मार्केट वैल्यू कहीं अधिक होने की संभावना है।
वक्फ बोर्ड के सदस्यों की संख्या भी बढ़ाए जाने की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘सच्चर कमेटी की दूसरी सिफारिश यह थी कि जो वक्फ बोर्ड में सदस्यों की संख्या पर्याप्त नहीं हैं, उसमें ज्यादा सदस्य होने चाहिए। उनमें दो महिलाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए और संयुक्त सचिव स्तर का एक अधिकारी भी होना चाहिए। हम जो बिल पेश कर रहे हैं, वो उसी सच्चर कमेटी के हिसाब का बिल है।’
‘ये वक्फ बोर्ड मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं‘
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमने 2014 के बाद हजारो-लाखों लोगों से विचार-विमर्श किया है। पिछले एक साल में ही ऑनलाइन कंप्लेन 194 और 93 कंप्लेन वक्फ से संबंधित हमारे ऑनलाइन पोर्टल में आए हैं। कल देर रात तक मेरे पास मुसलमानों के डेलिगेशन आते रहा। हमसे पहले भी कई लोग मिलते रहे हैं। ये वक्फ बोर्ड मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। एक कम्युनिटी यदि डॉमिनेशन करके छोटे-छोटे लोगों को कुचल देंगी तो हम कैसे चुप बैठ सकते हैं। ये चंद लोगों की आवाज यहां बुलंद कर रहे हैं।’
तमाम विचार-विमर्श व बैठकों के दौरान वक्फ में सुधार के सुझाव मिले
उन्होंने कहा, ‘2015 के बाद एक्टिव कंसल्टेशन का प्रॉसेस शुरू हुआ है। ये मत सोचिए कि अचानक 2024 में बिल लेकर आए हैं। अहमदिया, बोहरा, आगाखानी, पसमंदा से लेकर राज्यों के वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, सीईओ, सबसे बात की है। पटना में, दिल्ली में, श्रीनगर में कंसल्टेशन कम बैठकें हुई। जो हालिया कंसल्टेशन हुए हैं, इसमें आम मुसलमानों के साथ चर्चा हुई। 2023 में मुंबई में आम आदमी के साथ ही अधिकारियों की बैठक हुई और क्या क्या कदम उठाए जाने चाहिए, उसे लेकर सुझाव आए। लखनऊ में भी बहुत बड़े स्तर पर बात हुई, वक्फ की प्रॉपर्टी को लेकर भी चर्चा हुई और रिकंमेडेशन आया कि वक्फ में सुधार की जरूरत है।