वाराणसी, 8 सितम्बर। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजु ने कहा है कि स्वतंत्रता सभी के सामूहिक संघर्ष व बलिदान से प्राप्त होती है न कि कुछ लोगों के प्रयासों से। वह गुरुवार को यहां राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
पहले जनजातीय योद्धाओं की गाथाओं के बारे में चर्चा ही नहीं होती थी
किरण रिजिजु ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका के लिए लंबे समय तक केवल चुनिंदा हस्तियों के बारे में ही प्रचारित किया गया तथा महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अनेक नायक व नायिकाओं को नजरअंदाज किया गया। देश को विदेशी शासन से आजाद कराने में लंबी व महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ने वाले जनजातीय योद्धाओं की गाथाओं के बारे में चर्चा ही नहीं होती थी। ऐसे में मौजूदा तथा आने वाली पीढ़ियों को इन प्रसंगों व नायकों के बारे में जागरूक करने की अत्यंत आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘आज हम जिस स्वतंत्रता का अनुभव कर रहे हैं, वह इसलिए नहीं है कि सिर्फ कुछ ही लोगों ने इसके लिए संघर्ष किया बल्कि इसलिए भी है कि अनेक मोर्चों पर जनजातीय योद्धाओं द्वारा अनगिनत लड़ाइयां लड़ी गईं, फिर चाहे वो जंगल हों, गांव हों या फिर दुर्गम इलाके। वीरता व बलिदान की ऐसी ही अनेक गाथाओं को जनसामान्य तक पंहुचाने के लिए देशभर के विश्वविद्यालयों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
जनजातीय लोगों का जीवन व रहन-सहन ही मुख्यधारा
केंद्रीय मंत्री रिजिजु ने कहा कि अकसर यह कहा जाता है कि जनजातीय लोगों को मुख्यधारा में लाया जाए, लेकिन यह कहना उचित नहीं है क्योंकि जनजातीय लोगों का जीवन व रहन सहन ही मुख्यधारा है। वे अपने आप में अत्यंत समृद्ध विरासत को संजोए हुए
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के उप सचिव लक्ष्मण सिंह मकराम, विधि व न्याय मंत्रालय में पूर्व सचिव तथा कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के प्रतिनिधि पीके मल्होत्रा और अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। किरेन रिजिजु तथा कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन समेत अन्य विशिष्टजनों ने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।