नई दिल्ली, 4 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर के चर्चित बिकरू कांड मामले में जेल में बंद खुशी दुबे को जमानत दे दी है। यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत में खुशी की जमानत का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वह गिरोह को सक्रिय कर सकती है। हालांकि इस पर कोर्ट ने कहा कि घटना के समय उसकी उम्र 17 साल से भी कम थी। यूपी सरकार की तरफ से ये भी कहा गया कि जेल रिपोर्ट के मुताबिक खुशी का व्यवहार ठीक नहीं था दूसरे कैदियों के साथ उन्होंने झगडे किए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने खुशी को जमानत देते हुए कहा कि अब इस केस में ट्रायल शुरू हो गया है, इसलिए अब उसे जेल में रखने की जरूरत नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने खुशी को हर हफ्ते संबंधित पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए कहा है। कोर्ट ने सेशन कोर्ट को जमानत के लिए शर्तें तय करने का निर्देश दिया।
- दो जुलाई 2020 की है पूरी घटना
2 जुलाई 2020 को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस पर विकास दुबे ने साथियों के साथ हमला कर दिया था, जिसमें DSP समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। मुठभेड़ में मारे गए विकास दुबे का भतीजा और राइट हैंड कहा जाने वाला अमर दुबे घटना के बाद फरार हो गया था, लेकिन 8 जुलाई 2020 को हमीरपुर के मौदाहा में एसटीएफ ने अमर दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।
- घटना के समय नाबालिग थी खुशी
अमर दुबे की शादी 29 जून 2020 को खुशी दुबे से हुई थी। शादी के महज तीन दिन बाद 2 जुलाई 2020 को बिकरू कांड हुआ था। खुशी दुबे के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर घटना के वक्त वह नाबालिग थी। उस समय उसकी उम्र 16 साल के लगभग थी। पुलिस ने बिकरू कांड में खुशी को भी आरोपी बनाया था। खुशी दुबे पर चौबेपुर पुलिस ने फर्जी सिम रखने के मामले में केस दर्ज कर जेल भेज दिया था। कुछ महीने पहले बालिग होने पर खुशी दुबे को माती जेल शिफ्ट किया गया था।