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खालिस्तानी आतंकी परमजीत सिंह की लाहौर में हत्या, अज्ञात हमलावरों ने मारी गोली

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नई दिल्ली, 6 मई। खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के चीफ और आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवर उर्फ मलिक सरदार सिंह ढेर कर दिया गया है। खुफिया सूत्रों के अनुसार शनिवार सुबह पाकिस्तान के लाहौर स्थित जौहर टाउन में दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर परमजीत सिंह की हत्या कर दी। परमजीत सिंह को जुलाई 2020 में यूएपीए के तहत भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था।

बताया जा रहा है कि परमजीत जौहर कस्बे में सनफ्लावर सोसाइटी में अपने घर के पास सुबह करीब छह बजे टहल रहा था। इसी दौरान मोटरसाइकिल पर सवार दो अज्ञात हमलावर आए और आतंकी पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। परमजीत को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

पंजाब के तरनतारन के गांव में जन्मे 59 वर्षीय परमजीत सिंह पंजवर सिख उग्रवाद, हत्या, नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी आदि में लिप्त था। इससे पहले वह सोहल में एक केंद्रीय सहकारी बैंक में काम करता था। बाद में वह पंजाब में आतंकियों के संपर्क में आया और 1986 में उसने केसीएफ का गठन किया।

परमजीत पर टाडा एक्ट समेत तमाम धाराओं में करीब 2 दर्जन मामले भारत में दर्ज हैं। अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 1986-87 में पंजाब में कई आतंकवादी समूहों का गठन हुआ था। इनमें से एक केसीएफ भी था। इसकी शुरुआत वासन सिंह जफरवाल ने की थी। इसके बाद इसमें सुखदेव सिंह उर्फ सुखा निवासी पंजवार (जो पुलिस विभाग में कांस्टेबल था) शामिल हो गया।

पुलिस विभाग से फरार चल रहा सुखा वर्ष 1989 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इसके बाद कंवरजीत सिंह इस संगठन का प्रमुख बना और परमजीत सिंह पंजावार उप निदेशक। कंवरजीत सिंह की मृत्यु के बाद परमजीत सिंह इस संगठन का प्रमुख बन गया। वह लंबे समय से भारत से फरार होकर पाकिस्तान में नाम बदलकर रह रहा था। उसकी पत्नी और दो बच्चे जर्मनी में रहते हैं।

पाकिस्तान से संचालित कर रहा था संगठन

परमजीत वर्तमान में पाकिस्तान के लाहौर में ही रहकर काम कर रहा था। वह पाकिस्तान में युवाओं के लिए हथियारों की ट्रेनिंग की व्यवस्था कर रहा था। साथ ही भारत में VIPs पर हमला करने के लिए हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति करता था। वह अल्पसंख्यकों को भारत सरकार के खिलाफ भड़काने के उद्देश्य से रेडियो पाकिस्तान पर देशद्रोही और अलगाववादी कार्यक्रम प्रसारित करता रहा था। वह ड्रग्स की तस्करी में भी सक्रिय था और तस्करों व आतंकवादियों के बीच एक प्रमुख माध्यम था।

भारत में बम धमाकों का आरोपित

जून, 1988 में खालिस्तान कमांडो फोर्स ने कुछ शीर्ष राजनीतिक नेताओं की हत्या कर दी थी और अक्टूबर 1988 में एक बम विस्फोट भी किया था। इस समूह ने फिरोजपुर में 10 राय सिखों को मार डाला था। खालिस्तान कमांडो फोर्स मॉड्यूल 1998 और 1999 में बम धमाकों के लिए जिम्मेदार था। पंजाब पुलिस ने खालिस्तान कमांडो फोर्स के कई मॉड्यूल का पर्दाफाश किया और विभिन्न आरोपितों की गिरफ्तारी के साथ हथियार, गोला-बारूद व विस्फोटक बरामद किया था।