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डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार

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चंडीगढ़, 24 अप्रैल। डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ सकता है। मीडिया की अलग-अलग खबरों के अनुसार अमृतपाल पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ने वाला है। पिछले वर्ष अप्रैल में पंजाब पुलिस ने उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया था और फिलवक्त वह डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

वकील का दावा – खडूर साहिब सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेगा अमृतपाल

अग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार  अमृतपाल सिंह के वकील राजदेव सिंह खालसा ने उसके चुनाव लड़ने की पुष्टि की है। खालसा ने बताया कि वह डिब्रूगढ़ में आज (24 अप्रैल) अमृतपाल से मिले। अमृतपाल ने उनसे कहा कि वो खडूर साहिब सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेगा। सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि मुख्य धारा की एक पार्टी अमृतपाल को बाहर से समर्थन देने पर विचार भी कर रही है।

अमृतपाल की मां ने कहा – संगत की ओर से चुनाव लड़ाने का दबाव बन रहा

हालांकि अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर ने मीडिया को बताया कि कल ही अमृतपाल की पत्नी उससे मुलाकात करके वापस आई हैं. लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं बताया है। हालांकि बलविंदर ने यह भी कहा, ‘आज अमृतपाल के पिता उससे मुलाकात के लिए असम गए हैं। कल वह मुलाकात करेंगे। उसके बाद ही कुछ कन्फर्म किया जा सकता है। वैसे संगत की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि अमृतपाल को चुनाव लड़ना चाहिए।’

कौन है अमृतपाल सिंह?

उल्लेखनीय है कि अमृतपाल सिंह पिछले वर्ष फरवरी में चर्चा में आया था, जब उसके समर्थकों ने अमृतसर के अजनाला थाने का घेराव कर लिया था। 23 फरवरी, 2023 को हजारों की संख्या में अमृतपाल सिंह के समर्थक अजनाला पहुंचे थे। उनके हाथ में बंदूक, तलवारें और लाठियां थीं। सबने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के विरोध में थाने का विरोध किया था। उन सभी पर थाने पर हमला करने का आरोप लगा था। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे।

लवप्रीत की गिरफ्तारी किडनैपिंग और मारपीट के मामले में की गई थी। वीरेंदर सिंह नाम के एक शख्स ने 16 फरवरी को अमृतपाल और उसके कुछ साथियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसी मामले में पुलिस ने गुरदासपुर से तूफान सिंह उर्फ लवप्रीत को गिरफ्तार किया था। इसी गिरफ्तारी से बौखलाए अमृतपाल ने प्रशासन को खुलेआम धमकी देनी शुरू कर दी थी। उसने पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि यदि उसके साथी को नहीं छोड़ा गया तो वो अपने समर्थकों के साथ थाने का घेराव करेगा।

दीप सिद्धू की मौत के बाद वारिस पंजाब दे की कमान संभाल रखी है

इससे पहले अमृतपाल किसान आंदोलन के दौरान भी चर्चा में आया था। तब वह दुबई में रह रहा था। 26 जनवरी, 2021 को लाल किले पर निशान साहेब फहराने की घटना का अमृतपाल ने फेसबुक लाइव पर बचाव किया था। इसी दौरान वह पहली बार लोगों की नजरों में आया। फरवरी, 2021 में एक्टर दीप सिद्धू की गिरफ्तारी के विरोध में उसने सोशल मीडिया पर सक्रिय तरीके से अभियान चलाया था। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को दीप सिद्धू ने ही बनाया था। सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल इस संगठन का प्रमुख बन गया था।

भिंडरावाले को अपना आइकन मानता है अमृतपाल

अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के जल्लुपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। हालांकि उसका परिवार लंबे समय से दुबई में रह रहा था। 1970-80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे भिंडरावाले को अमृतपाल अपना आइकन मानता है। अगस्त, 2022 में अमृतपाल दुबई से भारत आ गया। यहां आने के बाद वह खालिस्तान की मांग उठाने लग और कई चैनलों को इंटरव्यू देना शुरू कर दिया। उसने जेल में बंद पूर्व खालिस्तानी अतिवादियों की रिहाई जैसे मुद्दों को भी उठाया।