नई दिल्ली, 26 मई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग मामले में प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख व कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
आतंकी फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा मलिक
ट्रायल कोर्ट ने पिछले वर्ष मई मे यासीन मालिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और एक आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत उसे दोषी ठहराया था। यासीन ने आरोपों का विरोध नहीं करने का फैसला किया था।
जिन अन्य पर आरोप लगाए गए, उनमें हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान और फारूक अहमद डार शामिल थे।यह मामला कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से जुड़ा था, जिसने 2017 में कश्मीर घाटी को अशांत कर दिया था। उसे एनआईए ने 2019 में एक मामले में गिरफ्तार किया था।
एनआईए की याचिका पर सोमवार को होगी सुनवाई
एनआईए ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच सोमवार को एनआईए की याचिका पर सुनवाई करेगी।
मलिक पर सीबीआई के दो हाई प्रोफाइल मामलों में जम्मू में मुकदमा चल रहा
उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक पर सीबीआई के दो हाई प्रोफाइल मामलों में जम्मू में मुकदमा चल रहा है। रुबैया सईद के अपहरण और 25 जनवरी, 1990 को वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या के मामले में यासीन आरोपित है। मलिक का नाम पूर्व में कश्मीर में हिंसा की तमाम साजिशों में शामिल रहा है। इसके अलावा उसे 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन के प्रमुख जिम्मेदार के रूप में जाना जाता है।