बेंगलुरु, 1 जनवरी। अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला के विग्र के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कर्नाटक पुलिस ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं के खिलाफ जांच के लिए मामले खोल दिए हैं, जो 30 वर्ष पहले आंदोलन के चरमोत्कर्ष के दौरान कथित तौर पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अन्य अपराधों में शामिल थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस विभाग ने एक विशेष टीम गठित की है और 1992 के राम मंदिर आंदोलन से संबंधित मामलों में ‘संदिग्धों’ की एक सूची तैयार की है, जिसके कारण चरमपंथियों द्वारा हिंसा की घटनाएं हुईं और अंतर-सांप्रदायिक संघर्ष हुए।
इसके अलावा, पांच दिसम्बर 1992 को हुबली में एक अल्पसंख्यक स्वामित्व वाली दुकान को आग लगाने की कथित घटना के संबंध में श्रीकांत पुजारी को हुबली पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुजारी इस मामले में तीसरा प्रतिवादी है और पुलिस आठ और प्रतिवादियों की तलाश कर रही है। पुजारी को अदालत की निगरानी में रखा गया है।
हुबली पुलिस ने भी बनाई है 300 ‘संदिग्धों‘ की सूची
इसी तरह हुबली पुलिस ने भी 300 ‘संदिग्धों’ की एक सूची बनाई है। उसका दावा है कि सभी संदिग्ध 1992 और 1996 के बीच हुए साम्प्रदायिक संघर्षों से जुड़े हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘आरोपित’ अब 70 साल की उम्र के करीब हैं और उनमें से कई शहर छोड़ चुके हैं।
हिन्दू संगठनों ने कांग्रेस सरकार की काररवाई की कड़ी निंदा की
वहीं दूसरी तरफ हिन्दू संगठनों ने कांग्रेस सरकार की मौजूदा काररवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार, अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन की पृष्ठभूमि के खिलाफ भाजपा और हिन्दू संगठनों के घर-घर अभियान को बर्दाश्त करने में असमर्थ है, जो 30 वर्ष पहले मामलों की जांच शुरू करने के लिए इस रणनीति का उपयोग कर रही है।