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कर्नाटक के मंत्री ने कहा – स्कूल में ड्रेस कोड अनिवार्य, सरकार हिजाब या केसरी के पक्ष में नहीं

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बेंगलुरु, 9 फरवरी। कर्नाटक के स्कूलों में छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने पर उपजे विवाद का मामला कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने जहां बड़ी बेंच के पास भेज दिया है वहीं राज्य के राजस्व मंत्री आर. अशोक ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सरकार हिजाब या केसरी (केसरिया स्कार्फ) के पक्ष में नहीं हैं और स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के लिए ड्रेस कोर्ड अनिवार्य है।

छात्र सड़कों पर जो चाहें पहनें, लेकिन स्कूलों में ड्रेस कोड अनिवार्य

हिजाब को लेकर राज्य में जारी विवाद के बीच आर. अशोक ने बुधवार को कहा, ‘छात्र सड़कों पर जो चाहें पहन सकते हैं, लेकिन स्कूलों में ड्रेस कोड अनिवार्य है। सरकार हिजाब या केसरी, दोनों के पक्ष में नहीं है। हमने छात्रों की सुरक्षा के लिए एहतियात के तौर पर स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं। इस राजनीति के पीछे कांग्रेस है।’

एमपी के शिक्षा मंत्री परमार ने हिजाब पर प्रतिबंध का किया समर्थन

इस बीच हिजाब पर प्रतिबंध का समर्थन करते हुए मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि सरकार अनुशासन को प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा, ‘हिजाब स्कूल ड्रेस का हिस्सा नहीं है, इसलिए इसे पहनना स्कूलों में प्रतिबंधित होना चाहिए। परंपराओं का पालन लोगों को अपने घरों में करना चाहिए न कि स्कूलों में। हम स्कूलों में ड्रेस कोड को सख्ती से लागू करने पर काम कर रहे हैं।’

प्रियंका गांधी बोलीं – महिला को तय करने का अधिकार है कि वह क्या पहनेगी

उधर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, ‘चाहे बिकिनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब, यह तय करना एक महिला का अधिकार है कि वह क्या पहनना चाहती है। भारतीय संविधान में यह अधिकार मिला है। महिलाओं को परेशान करना बंद कीजिए।’

शिवसेना सांसद प्रियंका की अपील – जय श्रीराम व अल्लाहू अकबर, दोनों ही नारेबाजी रुकें

वहीं शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है, ‘हालात ऐसे हैं कि युवा छात्र धार्मिक नारे लगा रहे हैं। जय श्रीराम हो या अल्लाहू अकबर हो, दोनों ही नारेबाज़ी रुकें। रुककर सोचिए कि छात्र जीवन को क्या बना दिया गया है। धार्मिक पहचान का रक्षक बनने में कोई बहादुरी नहीं है। दुखद।’

मलाला यूसुफजई की भारतीय नेताओं से अपील

गौरतलब है कि कर्नाटक के एक कॉलेज से उभरे हिजाब विवाद का मुद्दा देश के अन्य हिस्सों के अलावा विदेशों में भी उछलने लगा है। इसी क्रम में पाकिस्तान की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी चिंता जाहिर की है। मलाला ने इस पूरे विवाद को हैरान कर देने वाला वाकया करार देते हुए भारत के नेताओं से अपील भी की है।

मुस्लिम महिलाओं के हाशिए पर जाने को रोकना चाहिए

मलाला यूसुफजई ने ट्वीट में कहा, ‘हमें कॉलेज द्वारा पढ़ाई और हिजाब में से किसी एक को चुनने का मौका दिया जा रहा है। लड़कियों को उनके हिजाब में स्कूल जाने से मना करना भयावह है। महिलाओं के प्रति कम या ज्यादा पहनने को लेकर नजरिया बना रहता है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के हाशिए पर जाने को रोकना चाहिए।’