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गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपित मोहन नायक को कर्नाटक हाईकोर्ट ने दी जमानत

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बेंगलुरु, 8 दिसम्बर। कर्नाटक हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में आरोपित मोहन नायक को जमानत दे दी है। लंकेश की 2017 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नायक इस मामले में जमानत पाने वाले पहले व्यक्ति हैं।

न्यायमूर्ति एस.विश्वजीत शेट्टी ने आदेश में कहा कि नायक को मामले से जोड़ने वाले 23 गवाहों में से किसी ने भी लंकेश की हत्या की कथित साजिश में उसकी संलिप्तता का उल्लेख नहीं किया। अधिकतर गवाहों ने नायक के बेंगलुरु के बाहरी इलाके कुंबलगोडु में एक घर किराए पर लेने के बारे में ही बात की।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि मोहन नायक ने वास्तविक हमलावरों को आश्रय प्रदान किया था। अदालत ने मामले में दर्ज किए गए इकबालिया बयानों पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया कि वे कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (सीओसीए) के प्रावधानों को लागू करने की मंजूरी से पहले किए गए थे। इसकी राय थी कि सीओसीए की धारा 19 स्वीकारोक्ति पर लागू नहीं हो सकती है। भले ही सीओसीए के आरोप साबित हो जाएं, अदालत ने कहा कि अपराध विशेष रूप से मौत या आजीवन कारावास से दंडनीय नहीं हैं, न्यूनतम सजा पांच साल की कैद है।

अदालत ने नायक की पांच साल से अधिक की हिरासत और मुकदमे में संभावित देरी को देखते हुए जमानत दे दी और इस बात पर जोर दिया कि देरी आरोपित की गलती नहीं थी। उच्च न्यायालय ने पहले दो बार नायक को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था। मामले में कुल 527 आरोपपत्र गवाहों के साथ, अब तक केवल 90 से पूछताछ की गई है। वकील अमर कोरिया ने आरोपित का प्रतिनिधित्व किया जबकि विशेष लोक अभियोजक अशोक ए नाइक ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।

2017 में बेंगलुरु स्थित आवास के बाहर हुई थी गौरी लंकेश की हत्या

उल्लेखनीय है कि गौरी लंकेश की हत्या ने 2017 में देश को हिलाकर रख दिया था। अपनी निडर पत्रकारिता और सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर विचारों के लिए जानी जाने वाली गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके आवास के बाहर हत्या कर दी गई थी। मोटरसाइकिल पर आए हमलावरों ने नजदीक से कई गोलियां चलाईं, जिससे उनकी दुखद मौत हो गई।

हत्या की व्यापक निंदा हुई और देश में पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। गौरी लंकेश दक्षिणपंथी विचारधाराओं की आलोचना के लिए जानी जाती थीं और उनके असामयिक निधन ने असहमतिपूर्ण राय व्यक्त करने वाले पत्रकारों के सामने आने वाले खतरों को रेखांकित किया। उसकी हत्या की जांच जारी है और मामले के संबंध में गिरफ्तारियां की गई हैं।

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