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हिजाब विवाद : कर्नाटक हाई कोर्ट की मीडिया से संयम बरतने की अपील, अब 14 फरवरी को होगी सुनवाई

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बेंगलुरु, 10 फरवरी। कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अगुआई में तीन जजों की पूर्ण पीठ ने राज्य में उभरे हिजाब विवाद की गुरुवार को सुनवाई की और मीडिया से इस मामले में संयम बरतने का आग्रह किया। उडुपी के एक सरकारी कॉलेज की 18 छात्राओं की ओर से दाखिल कुल पांच याचिकाओं पर अब 14 फरवरी, सोमवार को सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अवस्थी ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘हम सामान्य रूप से मीडिया से अनुरोध करेंगे, कृपया आदेश को देखे बिना बहस के दौरान अदालत द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी की रिपोर्ट न करें।’ तीन जजों की बेंच में न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस खाजी जैबुन्निसा मोहिउद्दीन भी शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश ने स्कूल-कॉलेज बंद होने पर जताई चिंता

मुख्य न्यायाधीश ने कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज बंद होने को लेकर कहा कि कोविड के बाद चीजें पटरी पर आ रही थीं, लेकिन अब ऐसा हो गया है और यह अच्छी स्थिति नहीं है। सभी को इस बात की चिंता होनी चाहिए कि शिक्षण संस्थान जल्द से जल्द शुरू हों और इन सभी मुद्दों पर फैसला किया जाए।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने कहा, ‘हम संस्थाएं शुरू करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि बच्चे आएं, लेकिन हम सिर पर चोट के निशान वाले छात्रों के एक समूह से शुरुआत नहीं कर सकते। विशेष ड्रेस कोड पर जोर दिए बिना, उन्हें आज के ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए। राज्य ने एक आदेश पारित किया है कि सभी शिक्षण संस्थान अपनी वर्दी तय करेंगे और उसी के अनुसार कॉलेजों ने फैसला किया है। कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करने के बाद से कुछ छात्र भगवा शॉल पहनकर आने लगे हैं।’

छात्राओं के वकील ने कहा – हमारा मौलिक अधिकार किसी स्कूल की कमेटी तय नहीं करेगी

छात्राओं को ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामथ ने कहा कि यह वर्दी का मामला नहीं है। छात्राएं वर्दी पहने हुए थीं, वे केवल उसी रंग का सिर पर दुपट्टा पहनना चाहती थीं। उन्होंने कहा कि हमारा मौलिक अधिकार किसी स्कूल की कमेटी तय नहीं करेगी। सिर पर स्कार्फ लगाना अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं है।

कामथ का कहना था कि जीओ में राज्य ने घोषणा की है कि सिर पर दुपट्टा धर्म का हिस्सा नहीं है, इसलिए जीओ के लिए चुनौती महत्वपूर्ण है। प्रथम दृष्टया ये अंतरिम राहत का भी मामला भी है। इस पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अवस्थी ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं कि क्या सिर पर दुपट्टा पहनना अनुच्छेद 25 के तहत मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है।’

दूसरी ओर छात्राओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा, ‘मुख्य रूप से यही है हम ईआरपी के प्रश्न में जाते हैं तो मैं उस पर कुरान की आयतें और भाष्य रखूंगा। इसमें समय लगेगा। ऐसी छात्राएं हैं, जिन्हें बहुत कठिन समस्या है। कुछ चीजें हैं, जो समाधान की प्रतीक्षा कर सकती हैं, आग लगने से पहले उसे बुझाना होगा।’

हेगड़े ने कहा कि यह केवल आवश्यक धार्मिक अभ्यास का मामला नहीं है। यह बालिकाओं के लिए आवश्यक शिक्षा का भी मामला है। जब तक कोर्ट फैसला न कर ले, तब तक बीच का रास्ता अपनाने में समझदारी है। इसे पीयूसी कॉलेज स्तर पर हल किया जा सकता है और एक बुद्धिमान सरकार इसे हल कर सकती है।’

उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था हिजाब विवाद

गौरतलब है कि कर्नाटक में हिजाब विवाद की कई घटनाएं सामने आई हैं। मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। कुछ हिन्दू छात्र हिजाब के जवाब में भगवा शॉल या स्कार्फ पहनकर शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं। यह मुद्दा गत जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था। यहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं। इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए।

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