बेंगलुरु, 5 अगस्त। पिछले आठ आठ मार्च को उद्घाटित पहला सरकारी मानव स्तन दूध बैंक ‘अमृता धारे’ जरूरतमंद शिशुओं के लिए जीवन रेखा और परित्यक्त शिशुओं के लिए जीवनरक्षक बन गया है। यह पहल शिशु मृत्यु दर को और अधिक बढ़ने से रोकने में मदद कर रही है।
बेंगलुरु के वाणी विलास अस्पताल परिसर में स्थित है दूध बैंक
बेंगलुरु के वाणी विलास अस्पताल के परिसर में स्थित, दूध बैंक उन महिलाओं से भी दूध एकत्र करता है, जो स्वेच्छा से स्तन दूध दान करना चाहती हैं, बशर्ते वे स्वच्छता सुनिश्चित करें। अब तक एकत्रित 250 लीटर दूध के अमृत धारे से 1500 से अधिक लाभार्थियों को लाभ हुआ है।
दूध बैंक में स्वेच्छा से स्तन दूध दान करती हैं महिलाएं
वाणी विलास अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सविता सी ने बताया कि लाभार्थियों में कम वजन वाले और समय से पहले जन्मे बच्चे, ऐसे बच्चे जिनकी माताएं मृत या बीमार हैं व स्तनपान नहीं करा सकती हैं, वे माताएं जिनके पास जन्म के बाद नवजात शिशुओं को पिलाने के लिए पर्याप्त स्तन दूध नहीं है, और वे बच्चे भी जिन्हें अस्पताल के नवजात शिशु आईसीयू विभाग में त्याग दिया गया है, शामिल हैं।
700 घरेलू दानदाताओँ के अलावा बाहरी दानदाताओं से भी मिल रहा दूध
डॉक्टर सविता ने कहा, ‘हमें अपने घरेलू दानदाताओं से, जिनकी संख्या 700 है, और बाहरी दानदाताओं से भी दूध मिल रहा है। हम सब कुछ निःशुल्क करते हैं। प्रारंभ में, हम किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए प्री टेस्टिंग, पास्चुरीकरण और पोस्ट-टेस्टिंग करते हैं। फिर हम दूध को जमा देते हैं। स्तन के दूध को फ्रीजर में तीन महीने तक और फ्रिज में तीन से पांच दिनों तक संग्रहीत किया जा सकता है।
डॉ. सविता ने बताया कि दानकर्ता अस्पताल में वे माताएं हैं, जिनके पास अतिरिक्त दूध है। उन्हें मिल्क बैंक के बारे में सलाह दी जाती है और दान के बाद प्रशंसा पत्र भी दिया जाता है। एक समय में एक मां से 60-70 मिलीलीटर स्तन का दूध एकत्र किया जाता है और यदि आवश्यक हो तो स्तन दूध पंप का उपयोग किया जाता है।
दूध एकत्र करने के बाद, दूध का नमूना बैक्टीरिया विश्लेषण के लिए भेजा जाता है और फिर -22 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर डीप फ्रीजर में संग्रहीत किया जाता है। सुरक्षा सुनिश्चित करने और कोई संदूषण न होने के लिए पाश्चुरीकरण के बाद जीवाणु विश्लेषण दोहराया जाता है।
कर्नाटक में पहले से ही चार मानव स्तन दूध बैंक हैं, लेकिन यह सरकार द्वारा स्थापित पहला दूध बैंक है। मिल्क बैंक में दूध दान करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। ग्रामीण इलाकों की गरीब महिलाओं को इन दूध बैंकों में दूध बेचने का लालच रहता है। बड़े पैमाने पर, यह निजी कम्पनियों के लिए एक व्यवसाय बन गया है, जो मां के दूध के लिए लोगों से मोटी रकम वसूलते हैं। इसलिए, यह सरकार द्वारा संचालित सेटअप एक व्यवहार्य विकल्प है।