बेंगलुरु, 13 मई। कर्नाटक विधान सभा चुनाव की मतगणना शनिवार सुबह आठ बजे से शुरू हो गयी है। शुरुआती रुझानों के आधार पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। राज्य की 224 सीटों के लिए 36 केन्द्रों पर मतगणना कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गयी है। आज सुबह आठ बजकर 44 मिनट पर प्राप्त रूझान के अनुसार हालांकि भाजपा जहां 91 सीटों पर आगे चल रही है वहीं कांग्रेस ने 103 सीटों पर बढ़त बनायी हुई है।
स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को 113 सीटों पर जीत हासिल करना जरुरी है। राज्य विधान सभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर तीन प्रमुख पार्टी है। भाजपा हालांकि राज्य में 38 साल के मिथक को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जहां 1985 में जनता ने सत्तारूढ पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था।
इस चुनाव में कांग्रेस सरकार, मूल्य वृद्धि (महंगाई) और बेरोजगारी पर 40 प्रतिशत कमीशन के मुद्दे का भुनाना चाह रही है। जनता दल -सेक्युलर की निगाह खंडित जनादेश की स्थिति में किंगमेकर बनने पर है, जैसा कि उसने 2018 के चुनाव में किया था।
भाजपा ने फिर से इस चुनाव में बजरंग बली को मुद्दा बनाया। राज्य में सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की कांग्रेस के घोषणापत्र के प्रस्ताव पर भाजपा ने उन पर तीखा हमला किया। हालांकि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने यह कहकर इसे स्पष्ट किया कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं था और कहा कि राज्य में अधिक मंदिर भगवान हनुमान के हैं।
इस चुनाव में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दारामैया और डी के शिवकुमार के अलावा जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी का भविष्य तय होगा।
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस को 80 और जनता दल-सेक्युलर को 37 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 38.04 प्रतिशत वोट मिले थे, इसके बाद भाजपा ने 36.22 फीसदी मत हासिल किये थे। जनता दल सेक्युलर को 18.36 फीसदी मत मिले थे।
कांग्रेस और जनता दल -सेक्युलर के कुछ विधायकों द्वारा गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा ने बीच में ही सरकार बना ली थी। आज की मतगणना के दोपहर तक के रुझान से नयी विधानसभा की तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है।