वॉशिंगटन, 23 जुलाई। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावित उम्मीदवार बनने के लिए मौजूदा उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने पर्याप्त डेलीगेट (प्रतिनिधि) का समर्थन हासिल कर लिया है। इससे पहले उन्हें संभावित प्रतिद्वंद्वियों, सांसदों, गवर्नर और प्रभावशाली समूहों से समर्थन मिला था। वहीं हैरिस ने राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देने के लिए अपनी डेमोक्रेट पार्टी के डेलीगेट का समर्थन जुटाने के लिए मंगलवार को अपनी पहली रैली के लिए विस्कॉन्सिन पहुंचीं।
भारतीय-अफ्रीकी मूल की हैरिस को 1976 डेलीगेट का समर्थन मिला
भारतीय-अफ्रीकी मूल की 59 वर्षीया हैरिस को 1976 डेलीगेट का समर्थन मिल गया है, जो राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी संख्या से ज्यादा है। हैरिस ने कहा, ‘जब मैंने राष्ट्रपति पद के लिए अपने अभियान की घोषणा की थी तो मैंने कहा था कि मैं यह नामांकन हासिल करना चाहती हूं। आज मुझे इस बात पर गर्व है कि मुझे हमारी पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए आवश्यक समर्थन मिल गया है। मैं जल्द ही औपचारिक रूप से नामांकन स्वीकार करने की आशा करती हूं।’
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को घोषणा की थी कि वह राष्ट्रपति पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के नाम का अनुमोदन किया था। बाइडेन के राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख नेता हैरिस के समर्थन में तत्काल खड़े हो गए। अमेरिका में इस साल पांच नवम्बर को चुनाव होने हैं।
कमला हैरिस ने भरोसे के लिए जताया आभार
हैरिस ने कहा कि वह राष्ट्रपति बाइडेन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सभी लोगों की आभारी हैं, जिन्होंने उन पर विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि वह अपने मुद्दे सीधे अमेरिकी लोगों के बीच लेकर जाएंगी। हैरिस ने कहा, ‘यह चुनाव दो अलग-अलग दृष्टिकोणों के बीच एक स्पष्ट विकल्प प्रस्तुत करेगा। डोनाल्ड ट्रम्प हमारे देश को उस दौर में वापस ले जाना चाहते हैं, जब हममें से कई लोगों को पूर्ण स्वतंत्रता और समान अधिकार नहीं थे।’ प्रवासी माता-पिता (अश्वेत पिता और भारतीय मां) की संतान हैरिस के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के थे और उनकी मां श्यामला गोपालन चेन्नई की एक कैंसर शोधकर्ता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं।