नई दिल्ली, 22 नवम्बर। जस्टिस सूर्यकांत सोमवार (24 नवम्बर) को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के तौर पर शपथ लेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल, श्रीलंका और ब्राजील के चीफ जस्टिस और हायर ज्यूडिशियरी जज मौजूद रहेंगे।
‘लम्बित मामलों से निबटना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना मेरी प्रातमिकता होगी’
शपथ ग्रहण से पहले शनिवार को अपने आवास के कार्यालय में CJI-डेजिग्नेट, जस्टिस सूर्यकांत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लम्बित मामलों से निबटना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता में होगा।
यह पूछे जाने के सुप्रीम कोर्ट में 90,000 से ज्यादा पेंडिंग केस हैं और पुराने तरीकों से इन्हें सुलझाना मुश्किल होगा, जस्टिस सूर्यकांत ने जवाब दिया, ‘मैं बहुत आशावादी हूं…।’ वह सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केस पर ही फोकस नहीं कर रहे हैं बल्कि पूरे भारत में पेंडिंग केस को भी कम करना चाहते हैं, चाहे हाई कोर्ट हों या डिस्ट्रिक्ट कोर्ट।
हाई कोर्ट व डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को प्रभावित करने वाले लम्बित मामलों की पहचान करेंगे
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में उन पेंडिंग केस की पहचान करने पर फोकस करेंगे, जिनकी वजह से हाई कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मामले पेंडिंग हैं। वह पेंडिंग पुराने केस की भी जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि केस करने वालों के लिए यह एक अच्छी प्रैक्टिस है कि वे पहले हाई कोर्ट जाएं और फिर सुप्रीम कोर्ट। लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि हाई कोर्ट भी कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट हैं।
पेंडेंसी कम करने के तौर तरीकों में ‘गेम चेंजर‘ हो सकता मीडिएशन
जस्टिस कांत ने कहा, “दूसरी बात, मेरी प्राथमिकता मीडिएशन पर जोर देना भी होगी और पेंडेंसी कम करने के तरीकों में से एक के तौर पर यह एक ‘गेम चेंजर’ हो सकता है।” उन्होंने कहा कि मीडिएशन, जिसने तेजी पकड़ ली है, बहुत पावरफुल टूल है और पेंडिंग मामलों के लिए सबसे आसान सॉल्यूशन में से एक है।
उन्होंने कहा कि कुछ मल्टीनेशनल कम्पनियों और बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह अपने अधिकारियों को इन-हाउस मीडिएशन के लिए मीडिएशन ट्रेनिंग दें। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों में भी मीडिएशन कल्चर को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
ज्यूडिशियल सिस्टम में AI के इस्तेमाल के बारे में अभी कुछ शंकाएं व्याप्त हैं
ज्यूडिशियल सिस्टम में AI के इस्तेमाल के बारे में उन्होंने कहा कि AI के इस्तेमाल को लेकर कुछ डर और आशंका है और यह भी कि इसे ज्यूडिशियल सिस्टम में किस हद तक लाया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों की ट्रोलिंग पर, न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि वह इसे अनसोशल मीडिया मानते हैं।

