नई दिल्ली, 13 जुलाई। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि सतलुज नदी पर बांधों के निर्माण से यह छोटी नदी में तब्दील हो गई है, जिससे संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बदल गया है। वकील जतिंदर (जय) चीमा की पुस्तक “क्लाइमेट चेंज: द पॉलिसी, लॉ एंड प्रैक्टिस” के विमोचन के अवसर पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति करोल ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन देश के कृषि क्षेत्र पर भारी प्रभाव डाल रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि बढ़ते तापमान और मानवीय गतिविधियों के कारण कुछ नदियों के हिस्से सूख रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत की एकमात्र ट्रांस हिमालय नदी सतलुज, कई बांधों के निर्माण के कारण छोटी हो गई है, जिससे संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र व पारिस्थितिकी श्रृंखला बदल गई है।”
न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि एक के बाद एक सरकारों ने गंगा की सफाई पर 30,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। उन्होंने कहा, “हम मौजूदा स्थिति को जानते हैं। हम सबने इसे देखा है। इस मुद्दे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’’