नई दिल्ली, 4 जून। बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा और अब पर्यावरणविद् के रूप में अपनी पहचान बना रहीं जूही चावला को उस समय बड़ा आघात लगा, जब देश में प्रस्तावित 5जी वायरलेस नेटवर्क के खिलाफ दाखिल उनकी याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को न सिर्फ खारिज कर दी, वरन अभिनेत्री पर 20 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि वादी ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है और यह मुकदमा प्रचार के लिए किया गया था।’
दिलचस्प तो यह रहा कि वादी ने सुनवाई के लिंक को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया, जिससे सुनवाई के दौरान तीन बार व्यवधान उत्पन्न हुआ। अब दिल्ली पुलिस ऐसे व्यक्तियों की पहचान करेगी और व्यवधान पैदा करने वालों के खिलाफ काररवाई करेगी।
गौरतलब है कि जूही चावला, वीरेश मलिक और टीना वचानी ने एक याचिका दायर कर कहा था कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रतिकूल प्रभाव से नहीं बच सकेगा। याचिका में दावा किया गया था कि 5G वायरलेस प्रौद्योगिकी से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है।
सरकार से संपर्क किए बिना मुकदमा क्यों दायर किया
फिलहाल उच्च न्यायालय ने तकनीक से संबंधित अपनी चिंताओं के संबंध में सरकार को कोई प्रतिवेदन दिए जूही चावला के सीधे मुकदमा दायर करने पर सवाल उठाया। जस्टिस जे.आर. मिड्ढा ने कहा कि वादी चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपने अधिकारों के लिए सरकार से संपर्क करने की आवश्यकता थी और यदि वहां इनकार किया जाता, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था।
अदालत ने यह भी पूछा कि वाद में 33 पक्षों को क्यों जोड़ा गया और कहा कि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है। विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
सिर्फ मीडिया प्रचार के लिए दायर किया गया मुकदमा
अदालत ने इसे दोषपूर्ण वाद करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ मीडिया प्रचार के लिए दायर किया गया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। यह बहुत चौंकाने वाला है। जस्टिस मिड्ढा ने वादी से पूछा कि क्या आपने प्रतिवेदन के साथ सरकार से संपर्क किया? यदि हां तो कोई इनकार किया गया है क्या? इस पर वादी के वकील ने नहीं में जवाब दिया।
दूरसंचार विभाग की ओर से अदालत में उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता अमित महाजन ने कहा कि 5जी नीति स्पष्ट रूप से कानून में निषिद्ध नहीं है। मेहता ने कहा कि वादी को यह दिखाने की जरूरत है कि यह तकनीक कैसे गलत है।
निजी दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 5जी तकनीक सरकार की नीति है और चूंकि यह एक नीति है, इसलिए यह गलत कार्य नहीं हो सकता।