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मणिपुर में एनडीए को झटका : कुकी पीपुल्स एलांयस ने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया

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इम्फाल, 6 अगस्त। पूर्वोत्तर राज्य में मणिपुर में पिछले तीन माह से अधिक समय से जारी हिंसा के कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को झटका लगा, जब एन. बीरेनसिंह सरकार ने रविवार को अपना एक छोटा सहयोगी खो दिया। दरअसल, कुकी पीपुल्स एलायंस(केपीए) ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को प्रेषित एक पत्र में समर्थन वापस लेने कीघोषणा कर दी। केपीए के पास कम से कम दो विधायक हैं।

केपीए प्रमुख ने राज्यपाल उइको को भेजा समर्थन वापसी का पत्र

केपीए प्रमुख टोंगमांग हाओकिप ने राज्यपाल को प्रेषित पत्र में कहा, ‘मौजूदा टकराव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार के लिए जारी समर्थन अब निरर्थक है। इसलिए, मणिपुर सरकार को केपीए का समर्थन वापस लिया जाता है।’

उल्लेखनीय है कि मणिपुर विधानसभा में एनडीए के 32 सदस्य हैं जबकि उसे पांच एनपीएफ विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। विपक्षी विधायकों में एनपीपी के सात, कांग्रेस के पांच और जदयू के छह विधायक शामिल हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर निकलने का केपीए का फैसला ऐसे समय आया है, जब बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार हिंसा को नियंत्रित करने में असमर्थता को लेकर आलोचनाओं का शिकार बनी हुई है, जिसमें 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

मेतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में गत तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें भड़क उठी थीं। आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव के बाद झड़पें हुईं। मणिपुर की आबादी में मेतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। दूसरी ओर, नागा और कुकी जैसे आदिवासी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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