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जो बाइडेन के निकट सहयोगी एरिक गार्सेटी होंगे भारत में अमेरिका के राजदूत, 2 वर्षों से खाली था पद

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वॉशिंगटन, 16 मार्च। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के निकट सहयोगी एवं लॉस एंजिलिस के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिकी बनेंगे। अमेरिकी सीनेट ने भारत के राजदूत के रूप में गार्सेटी की नियुक्ति की बुधवार देर रात (भारतीय समयानुसार) पुष्टि कर दी। भारत में अमेरिकी राजदूत का पद लगभग दो वर्षों से खाली पड़ा हुआ है। केनेथ जस्टर भारत में अमेरिका के आखिरी राजदूत थे, जो जनवरी, 2021 तक इस पद पर बने रहे थे।

एरिक गार्सेटी के नामांकन पर सीनेट में हुआ मतदान

दरअसल, भारत में अमेरिका के अगले राजदूत के तौर पर 52 वर्षीय एरिक गार्सेटी के नामांकन पर सीनेट में बुधवार को मतदान हुआ। पिछले सप्ताह सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने अपनी कार्य मंत्रणा बैठक में आठ के मुकाबले 13 मतों से गार्सेटी के पक्ष में मतदान किया था।

जुलाई, 2021 से ही गार्सेटी का नामांकन लंबित था

अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में जुलाई, 2021 से ही गार्सेटी का नामांकन लंबित था। उस समय उन्हें राष्ट्रपति बाइडेन ने इस प्रतिष्ठित राजनयिक पद के लिए नामित किया था। रिपब्लिकन पार्टी के दो सांसदों-टॉड यंग और बिल हैगर्टी ने भी गार्सेटी के नामांकन का समर्थन किया था।

बतौर राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल के शुरुआती दो वर्षों में गार्सेटी के नामांकन को इसलिए मंजूरी नहीं मिल सकी। कुछ सांसदों ने यह कहते हुए उनकी नियुक्ति का विरोध किया था कि वह मेयर रहने के दौरान अपने एक वरिष्ठ सलाहकार पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से प्रभावी ढंग से निबटने में नाकाम रहे थे। बाइडेन ने इस जनवरी में गार्सेटी को दोबारा इस पद के लिए नॉमिनेट किया था।

रिपब्लिन सांसदों ने किया समर्थन

रिपब्लिकन सांसद यंग ने गार्सेटी के पक्ष में मतदान करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘चीन से निबटने और पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के साथ काम करने के लिए भारत में तुरंत एक राजदूत की नियुक्ति करना हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हित में है। उन्हें भले ही उपयुक्त अनुभव नहीं है, लेकिन वह इस जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाने का कौशल रखते हैं।’

अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में गार्सेटी के नामांकन को मंजूरी देने के लिए सीनेट समिति का आभार जताया। उसने कहा कि भारत अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण देश है और वहां स्थाई राजदूत होना अमेरिका के हित में है।

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