चंडीगढ़, 9 मई। हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और जननायक जनता पार्टी (JJJ) के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने और फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। दरअसल, राज्य में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की भाजपा सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है।
कुछ माह पहले तक ही भाजपा के साथ रहे दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को प्रेषित पत्र में लिखा गया है कि वह राज्य में सरकार बनाने वाली किसी भी पार्टी का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। साथ ही यह भी कहा है कि हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।
सीएम सैनी का जवाब – फ्लोर टेस्ट के दौरान चौटाला का क्या हाल हुआ था?
वहीं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने फ्लोर टेस्ट की मांग के लिए दुष्यंत चौटाला को जवाब दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मीडिया से कहा, ‘दुष्यंत चौटाला से पूछना चाहिए कि उनके पास कितने विधायक हैं। फ्लोर टेस्ट के दौरान उनके विधायकों ने विधानसभा में उनकी क्या हालत की थी, एक बार उनसे तो पूछ लो। मैंने विश्वास मत हासिल किया है। दोबारा विश्वास मत हासिल करने की बात आएगी तो दोबारा करूंगा। सरकार को कोई खतरा नहीं है। चुनावों तक ऐसे ही विपक्ष की बयानबाजी जारी रहेगी।’
राज्यपाल से मिलेंगे कांग्रेस के नेता
इस बीच हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है। पार्टी का कहना है कि हरियाणा की भाजपा सरकार बहुमत खो चुकी है। विधायक दल जल्द राज्यपाल से मिलना चाहता है। कांग्रेस ने कहा कि उनके नेता राज्यपाल से मिलकर राष्ट्रपति शासन लागू करने और जल्द चुनाव कराने की मांग करेंगे।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार पर बीते मंगलवार को उस समय राजनीतिक संकट गहरा गया, जब भाजपा से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया। इन निर्दलीयों में पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। इन विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को अपना समर्थन दे भी दिया।
भाजपा के पास अब भी 45 विधायकों का समर्थन
दरअसल, 90 सदस्यों वाली विधानसभा में इस समय 88 विधायक हैं। इनमें भाजपा के पास अब भी 45 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 40 विधायक उसकी अपनी पार्टी के और पांच निर्दलीय हैं। वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। तीन निर्दलीय और जुड़े तो यह संख्या 33 हुई। जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ जाते हैं तो यह संख्या 43 ही होती है। कुल मिलाकर देखें तो भाजपा सरकार पर अब भी कोई संकट नहीं है। वैसे भी मार्च में सीएम सैनी विश्वास मत का सामना कर चुके हैं, लिहाजा अब छह माह बाद ही उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा।