पटना, 17 अप्रैल। भगवान राम पर लगातार दिए बयानों को लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतराम मांझी सुर्खियों में रहते हैं। हाल में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक मांझी ने पुराने विचार को दोहराते हुए कहा था कि मैं भगवान राम को नहीं मानता। राम महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास के काव्य ग्रंथ के महज एक काल्पनिक पात्र थे।
बिहार की एनडीए सरकार में शामिल मांझी के इस बयान के बाद राजनीतिक दल मुखर हुए और विरोध किया। अब हरियाणा में भी मांझी घिर गए हैं। हरियाणा सरकार के गृह मंत्री अनिल विज ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि मांझी धरती का बोझ हैं।
मांझी को हिन्दुस्तान की संस्कृति की समझ नहीं
अनिल विज ने कहा कि मांझी को हिंदुस्तान के इतिहास और संस्कृति की समझ नहीं है। भगवान राम सबके रोम-रोम में बसे हैं। ऐसा बयान देना अपमान है। देश मे इतनी बड़ी संख्या में हिंदू रहते हों तो यह कहना ठीक नहीं है। अनिल विज ने कहा कि मांझी धरती का बोझ हैं।
भाजपा ने भी जाहिर किया विरोध
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने मांझी के बयान पर कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने था कि मांझी को अपने दिमाग का इलाज करा लेना चाहिए। मिथिलेश ने कहा कि मांझी अगर मर्यादा पुरुषोत्तम को नहीं मानते हैं तो अपने नाम के साथ राम क्यों लिखते हैं? उन्हें अपना नाम बदल लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम को नहीं मानने वाला भारत की सभ्यता व संस्कृति को नहीं जानता है।
भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा था कि मांझी को अपने नाम में राम हटाकर राक्षस कर लेना चाहिए। गौरतलब है कि 14 अप्रैल को मांझी ने कहा था कि मैं गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि को मानता हूं, लेकिन राम को मैं नहीं। राम कोई भगवान नहीं थे। वह गोस्वामी तुलसीदास व वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे।