रांची, 5 अगस्त। वरिष्ठ आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर राज्य विधानसभा लाया गया, जहां राज्यपाल संतोष गंगवार और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम, महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ जैसे नेताओं ने विधानसभा परिसर में ‘दिशोम गुरु’ के नाम से पहचाने जाने वाले शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्य के मंत्री इरफान अंसारी, दीपिका पांडे सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की और विभिन्न दलों के कई विधायकों ने विधानसभा परिसर में दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की। पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अविनाश कुमार सहित कई नौकरशाहों को विधानसभा परिसर में आदिवासी नेता को श्रद्धांजलि देते देखा गया। बड़ी संख्या में लोग और झामुमो कार्यकर्ता शिबू सोरेन को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए विधानसभा परिसर में आए और उन्होंने ‘गुरुजी अमर रहे’ के नारे लगाए।
शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर लेकर शव वाहन सुबह करीब साढ़े 10 बजे विधानसभा परिसर पहुंचा। सफेद कुर्ता-पायजामा और आदिवासी गमछा पहने हेमंत सोरेन अपने पिता के साथ थे। शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को रामगढ़ जिले में उनके पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। यह स्थान राज्य की राजधानी रांची से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।
‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने सोमवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। वह 81 वर्ष के थे। झामुमो के सह-संस्थापक सोरेन का गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के लिए एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाज किया जा रहा था।
- लोकसभा में शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी गई
लोकसभा ने मंगलवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी, जिनका सोमवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शिबू सोरेन और दो अन्य पूर्व सदस्यों तिलकधारी प्रसाद सिंह और रामरती बिंद के निधन के बारे में सूचित किया और उनके राजनीतिक जीवन का संक्षिप्त विवरण दिया।
बिरला ने कहा कि सोरेन ने सामाजिक न्याय और जनजातीय समुदाय के विकास एवं कल्याण के लिए आजीवन संघर्ष किया तथा झारखंड राज्य के गठन में उनकी उल्लेखनीय भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। इसके बाद सभा ने कुछ पल मौन रखकर तीनों दिवंगत पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। सोरेन सातवीं, नौवीं, 10वीं, 11वीं, 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के सदस्य थे, जबकि तिलकधारी प्रसाद सिंह आठवीं और 13वीं तथा रामरती बिंद 13वीं लोकसभा के सदस्य थे।

