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61 वर्ष की हुईं जया प्रदा, इस फिल्म से बॉलीवुड में रखा कदम, रातों रात बनीं स्टार

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मुंबई, 3 अप्रैल। बॉलीवुड में लोकप्रियता हासिल करने के बाद राजनीति में कदम रखने वालीं जयाप्रदा आज 61 वर्ष की हो गईँ। जया प्रदा का मूल नाम ललिता रानी है, जिनका जन्म आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव राजमुंदरी में 3 अप्रैल, 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता कृष्णा तेलूगु फिल्मों के वितरक थे।

बचपन से ही नृत्य की ओर रहा रुझान

जयाप्रदा के शुरुआती करिअर की बात करें तो बचपन से ही उऩका रुझान नृत्य की ओर था। उनकी मां नीलावनी ने नृत्य के प्रति उनके बढ़ते रुझान को देख लिया और उन्हें नृत्य सीखने के लिए दाखिला दिला दिया। 14 चौदह वर्ष की उम्र में जयाप्रदा को अपने स्कूल में नृत्य कार्यक्रम पेश करने का मौका मिला, जिसे देखकर एक फिल्म निर्देशक उनसे काफी प्रभावित हुए और अपनी फिल्म भूमिकोसम में उनसे नृत्य करने की पेशकश की। लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। बाद में अपने माता-पिता के जोर देने पर जयाप्रदा ने फिल्म में नृत्य करना स्वीकार कर लिया।

उस फिल्म के लिए जयाप्रदा को पारश्रमिक के रूप में महज 10 रुपये प्राप्त हुए, लेकिन उनके तीन मिनट के नृत्य को देखकर दक्षिण भारत के कई फिल्म निर्माता -निर्देशक काफी प्रभावित हुए और उनसे अपनी फिल्मों में काम करने की पेशकश की जिसे, उन्होंने स्वीकार कर लिया।

वर्ष 1976 सिने करिअर का महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ

वर्ष 1976 जयाप्रदा के सिने करिअर का महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उन्होंने के. बालचंद्रन की अंथुलेनी कथा के. विश्वनाथ की श्री श्री मुभा और वृहत पैमाने पर बनी एक धार्मिक फिल्म सीता कल्याणम में सीता की भूमिका निभाई। इन फिल्मों की सफलता के बाद जयाप्रदा दक्षिण भारत में अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गई।

वर्ष 1977 में जयाप्रदा के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म आदावी रामाडु प्रदर्शित हुई, जिसने टिकट खिड़की पर नए कीर्तिमान स्थापित किए। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेता एन.टी. रामाराव के साथ काम किया और शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचीं।

सरगम फिल्म में दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार

वर्ष 1979 में के. विश्वनाथ की श्री श्री मुवा की हिन्दी में रिमेक फिल्म सरगम के जरिये जयाप्रदा ने हिंदी फिल्म जगत में भी कदम रखा। इस फिल्म की सफलता के बाद वह रातों रात हिंदी सिनेमा जगत में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गई और अपने दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गई।

सरगम की सफलता के बाद जयाप्रदा ने लोक परलोक, टक्कर, टैक्सी ड्राइवर और प्यारा तराना जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों में काम किया लेकिन इनमें से कोई फिल्म टिकट खिड़की पर सफल नहीं हुई। इस बीच जयाप्रदा ने दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करना जारी रखा।

एक बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं जयाप्रदा

जयाप्रदा के  राजनीतिक सफर की बात करें तो दिवंगत अमर सिंह के जरिए वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुई थीं। जयाप्रदा के राजनीतिक सफर की बात करें तो तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के संस्थापक एन.टी.रामाराव के आमंत्रण पर उन्होंने 1994 में टीडीपी ज्वॉइन किया था दिवंगत अमर सिंह के जरिए वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुई थीं। इसी पार्टी के बैनर तले वह पहली बार 1996 में संसद (राज्यसभा) पहुंची।

बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश का रुख किया और 2004 में रामपुर निर्वाचन क्षेत्र जीत हासिल कर वह पहली बार लोकसभा पहुंची। 2009 में जयाप्रदा इसी सीट से दोबारा सांसद निर्वाचित घोषित की गईं। लेकिन दिग्गज नेता रहे अमर सिंह के खुले समर्थन के कारण जयाप्रदा 2010 में सपा से बाहर कर दी गई। इसके बाद अमर सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच और फिर राष्ट्रीय लोकदल में उनका संक्षिप्त ठहराव रहा। फिलहाल जयाप्रदा वर्ष 2019 से भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं।

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