सहारनपुर, 28 मई। देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने कथित तौर पर मुल्क में बढ़ती साम्प्रदायिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सभाओं में अल्पसख्यकों के खिलाफ कटुता फैलाने वाली बातें की जा रही हैं, लेकिन सरकार ने इस ओर आंखें मूंदी हुई हैं।
छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा
मुस्लिम संगठन ने केंद्र यह भी आरोप लगाया कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के संरक्षण में जहर घोला जा रहा है। जमीयत ने दावा किया कि छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा है, जो न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक है।
सहारनपुर स्थित देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की मजलिसे मुंतजिमा (प्रबंधक समिति) की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें केंद्र सरकार से उन तत्वों पर और ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया गया है, जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खि़लाफ हैं और इस्लाम तथा मुसलमानों के प्रति कटुता फैलाती हैं।
मौलाना मदनी बोले – देश में नफरत की दुकान चलाने वाले मुल्क के दुश्मन हैं
वहीं, जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने देश में नफरत फैलाने वालों को देश का दुश्मन और गद्दार बताया। साथ ही नफरत को मोहब्बत से खत्म करने का लोगों को पैगाम दिया।
मौलाना मदनी ने देश में हाल में हुई कुछ सांप्रदायिक घटनाओं का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘देश में बहुमत उन लोगों का नहीं है, जो नफरत के पुजारी हैं और अगर हम उनके उकसावे में आकर उसी लहजे में जवाब देंगे तो वे अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। देश में नफरत की दुकान चलाने वाले मुल्क के दुश्मन हैं, गद्दार हैं। नफरत का जवाब कभी भी नफरत से नहीं दिया जाता बल्कि मोहब्बत से दिया जाता है।’