जालंधर,13 मई। पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट के लिये गत 10 मई को हुये उपचुनाव की मतगणना शुरू हो गई है तथा शुरूआती रूझानों में राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी(आप) के सुशील कुमार रिंकू को ढाई हजार से ज्यादा मतों की बढ़त मिल गई है। रूझानों के अनुसार कांग्रेस दूसरे स्थान पर है जबकि शिरोमणि अकाली दल(शिअद)-बहुजन समाज पार्टी(बसपा) गठबंधन तीसरे स्थान पर है। भाजपा चौथे स्थान पर चल रही है।
मतगणना सुबह आठ बजे कपूरथला रोड स्थित निदेशक भू-अभिलेख एवं स्पोर्ट्स कॉलेज परिसर में हो रही है। मतगणना केंद्र के आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये हैं। इस सीट के लिए चुनाव मैदान में 19 उम्मीदवार हैं लेकिन मुख्य मुकाबला आप, कांग्र्रेस, शिअद और भाजपा उम्मीदवारों के बीच है तथा इन चारों दलों के लिये यह चुनाव प्रतिष्ठा की कसौटी बना हुआ है। इवीएम की मतगणना के शुरू होने से पहले साढ़े सात बजे डाक मतपत्रों की गिनती हुई।
इस उपचुनाव में आप की ओर से पूर्व विधायक रिंकू, कांग्रेस ने इस सीट से दिवंगत सांसद संतोख सिंह पत्नी करमजीत कौर चौधरी, भाजपा ने इंदर इकबाल सिंह अटवाल और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने दो बार के विधायक और पेशे से डॉक्टर सुखविंदर कुमार सुक्खी को अपने उम्मीदवार के तौर मैदान में उतारा था। रिंकू चुनाव से ऐन पहले ही कांग्रेस छोड़ कर आप में शामिल हुये थे। इंदर इकबाल सिंह अटवाल, राज्य के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल के पुत्र हैं। अब चरणजीत सिंह अटवाल भी शिअद को अलविदा कह कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
शिअद को इस उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी(बसपा) का समर्थन हासिल था। यह सीट कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी के निधन के कारण रिक्त हुई है। श्री चौधरी का गत जनवरी में ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
भाजपा के लिये पंजाब में सियासत के लिए यह उपचुनाव काफी अहम है। उसने 1997 के बाद पहली बार शिअद से अलग होकर यह चुनाव लड़ा है। वहीं कांग्रेस के अपना गढ़ बचाना चुनौती है। जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है। वह 1999 से लगातार कांग्रेस यहां से जीतती रही है।
उपचुनाव को एक साल पुरानी भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार के कार्य प्रदर्शन की परीक्षा के रूप में भी देखा जा रहा है जो मुफ्त बिजली, युवाओं को रोजगार, ठेका कर्मचारियों को नियमित करने तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई जैसे अनेक मुद्दों पर सक्रियता से कार्रवाई करने के वादे के साथ सत्ता में आयी थी।