Site icon hindi.revoi.in

यूएनजीए में भारत का तुर्की को कड़ा जवाब, कश्मीर मुद्दा उठाने पर जयशंकर ने एर्दोगन को घेरा

Social Share

न्यूयॉर्क, 22 सितम्बर। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76वें सत्र के दौरान कश्मीर मुद्दा उठाने पर  तुर्की को कड़ा जवाब दिया। इस क्रम में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन को साइप्रस के मुद्दे के मुद्दे पर घेर लिया, जिन्होंने अपने भाषण के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया था।

डॉ. एस. जयशंकर ने एर्दोगन को भरपूर जवाब देते हुए कहा कि तुर्की ने साइप्रस के बड़े हिस्से पर कई दशकों से अवैध कब्जा जमा रखा है। इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने प्रस्ताव भी पारित किया हुआ है, लेकिन तुर्की इसे नहीं मानता।

एर्दोगन ने कहा था – 74 वर्षों से जारी विवाद दोनों पक्षों को संवाद से हल करना चाहिए

एर्दोगन ने मंगलवार को सामान्य चर्चा में अपने संबोधन में कहा, ‘हमारा मानना है कि कश्मीर को लेकर 74 वर्षों से जारी समस्या को दोनों पक्षों को संवाद तथा संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के जरिए हल करना चाहिए।’ अतीत में भी एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

जयशंकर ने साइप्रस के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की

इसी क्रम में डॉ. जयशंकर ने साइप्रस के अपने समकक्ष निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। इस दौरान उन्होंने साइप्रस के संबंध में यूएनएससी के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जयशंकर ने साइप्रस के विदेश मंत्री के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बुधवार को ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘हम आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। मैंने उनकी क्षेत्रीय अंतर्दृष्टि की सराहना की। सभी को साइप्रस के संबंध में यूएनएससी के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करना चाहिए।’

1974 में सैन्य तख्तापलट से शुरू हुआ था साइप्रस विवाद

साइप्रस में लंबे समय से चल रहे संघर्ष की शुरुआत 1974 में यूनान सरकार के समर्थन से हुए सैन्य तख्तापलट से हुई थी। इसके बाद तुर्की ने यूनान के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण कर दिया था। भारत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के तहत इस मामले के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है।

पाकिस्तान के बाद अब तुर्की भी बना भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र

गौरतलब है कि तुर्की अब पाकिस्तान के बाद भारत विरोधी गतिविधियों का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। मीडिया रिपोर्ट अनुसार केरल और कश्मीर समेत देश के तमाम हिस्सों में कट्टर इस्लामी संगठनों को तुर्की से फंड मिल रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की भारत में मुसलमानों में कट्टरता घोलने और चरमपंथियों की भर्तियों की कोशिश कर रहा है। उसकी यह कोशिश दक्षिण एशियाई मुस्लिमों पर अपने प्रभाव के विस्तार की कोशिश है।

Exit mobile version