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जयशंयकर ने भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव की चिंताओं को किया खारिज, बोले – ‘भारतीय संस्कृति बहुलवादी’

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वॉशिंगटन, 29 सितम्बर। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत में अल्पसंख्यकों के साथ कथित भेदभाव की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि देश में सब कुछ निष्पक्ष हो गया है। जयशंकर शुक्रवार को वाशिंगटन डीसी में ‘थिंक टैंक’ हडसन इंस्टीट्यूट द्वारा ‘नई प्रशांत व्यवस्था में भारत की भूमिका’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

सामाजिक कल्याण प्रणाली का निर्माण ही संप्रति भारत में सबसे बड़ा बदलाव

जयशंकर ने कहा, “चूंकि आपने भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है, लेकिन निष्पक्ष और सुशासन या समाज के संतुलन की कसौटी क्या है? यही होगा कि सुविधाओं के मामले में, लाभ के मामले में, पहुंच के मामले में, अधिकारों के मामले में, आप भेदभाव करते हैं या नहीं करते हैं। दुनिया के हर समाज में, किसी न किसी आधार पर, कुछ न कुछ भेदभाव होता ही है। यदि आप आज भारत को देखें, तो यह आज एक ऐसा समाज है, जहां जबर्दस्त बदलाव हो रहा है। भारत में आज होने वाला सबसे बड़ा बदलाव एक ऐसे समाज में सामाजिक कल्याण प्रणाली का निर्माण है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 3,000 अमेरिकी डॉलर से कम है। इससे पहले दुनिया में किसी ने भी ऐसा नहीं किया है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि अब, जब आप इसके लाभों को देखते हैं, तो आप देखते हैं आवास के मामले में, आप स्वास्थ्य को देखते हैं, आप भोजन को देखते हैं, आप फाइनेंस को देखते हैं, आप शैक्षिक पहुंच, स्वास्थ्य पहुंच को देखते हैं। उन्होंने कहा, “मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप मुझे भेदभाव दिखाइए। असल में, हम जितना अधिक डिजिटल हो गए हैं, शासन उतना ही अधिक चेहराहीन हो गया है। असल में, यह अधिक निष्पक्ष हो गया है।”

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुलवादी है और यहां की संस्कृति में विविधता है। यह सभी विषयों पर चर्चा होती है और उस चर्चा में एक संतुलन लाने की कोशिश की जाती है और उसके आधार पर भी निष्कर्ष निकाला जाता है।

‘हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है

जयशंकर ने आगे कहा, “लेकिन जैसा कि मैंने कहा यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। ऐसे लोग होंगे, आपके मन में इसके बारे में चिंता होगी और उनमें से अधिकतर शिकायत राजनीतिक है। मैं आपसे बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं क्योंकि हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है और ऐसे वर्ग भी हैं जिनका उनकी नजर में एक निश्चित विशेषाधिकार था।।”

डिजिटल भुगतान प्रणाली में दुनिया को पीछे छोड़ चुका है भारत

जयशंकर ने डिजिटल भुगतान में देश की सफलता की सराहना करते हुए कहा, “यदि आप आज भारत में खरीदारी करने जा रहे हैं, तो आप अपना बटुआ पीछे छोड़ सकते हैं, लेकिन आप अपना फोन पीछे नहीं छोड़ सकते, क्योंकि संभव है कि जिस व्यक्ति से आप कुछ खरीद रहे हैं वह कैश स्वीकार नहीं करेगा। वह चाहेगा कि आप अपना फोन निकालें, क्यूआर कोड देखें और कैशलेस भुगतान करें। पिछले साल हमने 90 बिलियन कैशलेस वित्तीय भुगतान देखा। केवल संदर्भ के लिए, बता रहा हूं कि अमेरिका में लगभग 3 (बिलियन) और चीन में 17.6 (बिलियन) हुआ था। इस साल, हम शायद इससे अधिक हो जाएंगे। मैंने जून के आंकड़े देखे, यह अकेले जून में 9 बिलियन लेनदेन था। स्ट्रीट वेंडरों के पास आज एक क्यूआर कोड है।”

दुनिया को किसी तरह के पुन: वैश्वीकरण की सख्त जरूरत है

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दुनिया को किसी तरह के पुन: वैश्वीकरण की सख्त जरूरत है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत ‘‘गैर पश्चिमी देश है, लेकिन पश्चिम का विरोधी नहीं है। यदि आप इसे एक साथ रखें तो मैं आपको सुझाव दूंगा कि दुनिया को किसी प्रकार के पुन: वैश्वीकरण की सख्त जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण अपने आप में निर्विवाद है क्योंकि इसने बहुत गहरी जड़ें जमा ली हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसके जबर्दस्त फायदे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन वैश्वीकरण का यह विशेष मॉडल पिछले 25 वर्षों में विकसित हुआ है। जाहिर है, इसमें बहुत सारे जोखिम निहित हैं और आज उन जोखिमों को कैसे दूर किया जाए और एक सुरक्षित दुनिया कैसे बनाई जाए, यह चुनौती का हिस्सा है।’’

हिन्द-प्रशांत पर जयशंकर ने कहा कि यह एक अवधारणा है, जिसने आधार कायम कर लिया है। उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर और प्रशांत क्षेत्र का एक तरह से अलगाव वास्तव में कुछ ऐसा है, जो वास्तव में द्वितीय विश्व युद्ध का परिणाम था।