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”सही का साथ देना भारत की कर्तव्य”, गाजा पर जारी हमले का प्रियंका गांधी ने की निंदा

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने गाजा पर ‘‘निर्मम तरीके से जारी बमबारी’’ की आलोचना करते हुए गुरुवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक सदस्य होने के नाते यह भारत का कर्तव्य है कि वह सही का साथ दें और जल्द से जल्द संघर्ष विराम सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करें।

कांग्रेस महासचिव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर किए एक पोस्ट में कहा कि भारत हमेशा सही के साथ खड़ा हुआ है और आजादी के लिए फलस्तीनी लोगों के लंबे संघर्ष की शुरुआत से ही उनका समर्थन करता रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘गाजा पर निर्मम बमबारी युद्धविराम से पहले से भी अधिक बर्बरता के साथ जारी है। खाद्य आपूर्ति की किल्लत है, चिकित्सा सुविधाओं को नष्ट कर दिया गया है और मूलभूत सुविधाओं को भी बंद कर दिया गया है।’’

प्रियंका ने कहा कि एक पूरा देश खत्म किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि तकरीबन 10,000 बच्चों, 60 से अधिक पत्रकारों और सैकड़ों चिकित्सा कर्मियों समेत 16,000 निर्दोष नागरिकों की हत्या की गयी है। उन्होंने कहा, ‘‘इन लोगों के भी हमारी तरह सपने और उम्मीदें हैं। हमारी आंखों के सामने ही उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतारा जा रहा है। हमारी मानवता कहां है?’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमेशा सही के साथ खड़ा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने दक्षिण अफ्रीका की रंगभेदी सरकार के खिलाफ प्रतिबंधों के लिए लड़ाई लड़ी। हमने फलस्तीन में आजादी के लिए अपने भाइयों और बहनों के लंबे संघर्ष की शुरुआत से ही उनका समर्थन किया है और अब हम धरती से उनका नामोनिशान मिटाने के लिए हो रहे नरसंहार को लेकर कुछ नहीं कर रहे हैं?’’ प्रियंका ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक सदस्य होने के नाते यह भारत का कर्तव्य है कि वह सही का साथ दे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें जल्द से जल्द संघर्ष विराम सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए।’’ मीडिया में आयी खबरों में हमास शासित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया गया है कि क्षेत्र में मृतकों की संख्या 16,200 को पार कर चुकी है और 42,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इजराइल ने हमास आतंकवादियों द्वारा सात अक्टूबर को किए हमले के बाद व्यापक पैमाने पर सैन्य अभियान चलाया है। खबरों के अनुसार, इजराइल में सात अक्टूबर को हमास के हमले के दौरान करीब 1,200 लोग मारे गए थे जिनमें से ज्यादातर नागरिक थे।

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