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इसरो ने शेयर की खुशखबरी – 9.2 लाख  किमी की दूरी ततय कर चुक आदित्य-L1 अब सन प्वॉइंट L1 को तलाश रहा

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बेंगलुरु, 30 सितम्बर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य-L1 को लेकर खुशखबरी दी है। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि अब उसका यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बाहर जा चुका है। अब तक आदित्य-एल1 ने पृथ्वी से मिलाकर 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी पूरी कर ली है और अब वह सन प्वॉइंट L1 को तलाश रहा है।

पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर दूसरी बार अंतरिक्ष यान भेजने में सफल रहा ISRO

यह दूसरा अवसर है, जब इसरो पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर अंतरिक्ष यान भेजने में सफल हुआ है। पहली बार मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) ऐसा था, जिसे पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर भेजा जा सका था।

इसरो ने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, ‘आदित्य-एल1 पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है। अब यह सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है। यह दूसरी बार है, जब इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर भेज सका। पहली बार मंगल ऑर्बिटर मिशन में भेजा था।’

आदित्य-L1 अपने साथ कुल 7 पेलोड ले गया है

पीएसएलवी-सी57 रॉकेट द्वारा आदित्य-L1 का प्रक्षेपण गत दो सितम्बर को इसरो द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान सूर्य का अध्ययन करने के लिए कुल सात अलग-अलग पेलोड ले गया है। इसमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे।

गौरतलब है कि आदित्य-एल1 में दो मुख्य पेलोड हैं, विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफी (वीईएलसी) और सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी)। लैग्रेंज प्वॉइंट पर पहुंचने के बाद, वीईएलसी पेलोड रोजाना 1,440 तस्वीरें भेजेगा। इसलिए इस पेलोड को आदित्य-एल1 का काफी अहम पेलोड माना जा रहा है। आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है।

लैरेंज प्वॉइंट वन तक बढ़ चुका है आदित्य एल-1

गत 19 सितम्बर को सामने आए अपडेट के अनुसार आदित्य-L1 सूर्य मिशन धरती और सूरज के बीच मौजूद लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 की तरफ बढ़ चुका था। यानी उसका ट्रांस लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 इंसर्शन (TLI1) किया जा चुका है। अब आदित्य को सिर्फ 110 दिनों तक अंतरिक्ष में यात्रा करते जाना है। इसके बाद ही वह L1 प्वॉइंट पर पहुंचेगा। इस पर मॉरशिस, बेंगलुरु के ISTRAC, श्रीहरिकोटा के SDSC-SHAR और पोर्ट ब्लेयर के इसरो सेंटर से निगरानी की गई थी।

इससे पहले आदित्य-L1 ने अपनी तरफ से कुछ डेटा भेजा था। जो इसके STEPS यंत्र ने कलेक्ट किया था। इस यंत्र ने सुपरथर्मल-एनर्जेटिक आयंस और इलेक्ट्रॉन्स को 50 हजार किलोमीटर दूर से स्टडी करना शुरू कर दिया है। इससे वैज्ञानिकों को ये स्टडी करने में मदद मिलेगी कि ये कण धरती पर क्या असर डालते हैं।

फरवरी में मिलेगी सूरज की पहली तस्वीर

आदित्य-L1 से सूरज की पहली तस्वीर फरवरी या मार्च में मिलेगी। VELC को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है। इसरो के सूर्य मिशन में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा। L1 तक की यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य के सारे पेलोड्स ऑन किए जाएंगे। यानी उसमें जितने भी यंत्र लगे हैं, वो एक्टिव हो जाएंगे। वो सूरज की स्टडी शुरू कर देंगे। लेकिन बीच-बीच में उनके सलामती की जांच के लिए उन्हें एक्टिव किया जा सकता है। यह देखने के लिए वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।

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