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भारत के निकट ड्रोन का निशाना बना इजराइली जहाज, हूतियों पर हमले का शक, 20 भारतीय भी सवार

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नई दिल्ली, 23 दिसम्बर। भारतीय सीमा के निकट हिन्द महासागर में इजराइल से जुड़े एक जहाज को ड्रोन द्वारा निशाना बनाया गया है। ब्रिटिश सेना के यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस और समुद्री सुरक्षा फर्म एम्ब्रे ने इस हमले की जानकारी दी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस व्यापारिक जहाज पर लाइबेरिया का झंडा लगा था और भारतीय तट के पास इसे निशाना बनाया गया है। हालांकि हमले में किसी के घायल होने या मरने की सूचना नहीं है। लेकिन जहाज को कुछ नुकसान जरूर हुआ है। बताया जाता है कि इस व्यापारिक जहाज के चालक दल में 20 की संख्या में भारतीय भी मौजूद थे। वैसे तो यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस हमले के पीछे कौन है, लेकिन यमन के हूतियों की भूमिका को लेकर शक जाहिर किया जा रहा है।

गुजरात के पास हमला

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह हमला गुजरात के वेरावल तट से महज 200 नॉटिकल मील की दूरी पर अंजाम दिया गया। इजराइल से संबंधित जहाज भारत आ रहा था। हमले के बाद जहाज के अंदर कुछ टूट-फूट हुई थी, जिसके बाद कुछ पानी भी गया था। भारत की तरफ निकलने से पहले ने आखिरी बार जहाज ने सऊदी अरब से सम्पर्क किया था।

जहाज ‘एमवी केम प्लूटो’ में कच्चा तेल लोड, मेंगलुरु आ रहा था

रिपोर्ट के अनुसार जहाज ‘एमवी केम प्लूटो’ में कच्चा तेल लोड है। यह जहाज सऊदी अरब के एक बंदरगाह से मेंगलुरु आ रहा था। हमले के बाद भारतीय मामले की जांच की जा रही है और जहाज को सावधानी बरतने का निर्देश भी दिया गया है।

हमले की जांच के लिए ICGS Vikram रवाना

इस बीच इजराइली जहाज पर हुए हमले की जांच के लिए भारतीय तटरक्षक बल के जहाज ICGS Vikram को भेजा गया है। ICGS Vikram को भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की गश्ती के लिए तैनात किया गया था। डिफेंस अधिकारी के अनुसार क्षेत्र के सभी जहाजों को सहायता प्रदान करने के लिए सतर्क कर दिया गया है।

हूतियों पर शक की जायज वजहें

इस मामले में हूतियों पर हमले की वजहें भी बिल्कुल जायज हैं। असल में कुछ ही दिन पहले यमन के हूती विद्रोहियों ने भारत आ रहे एक जहाज का अपहरण कर लिया था। हूती विद्रोही इजराइल के हमले का विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं, हमास के समर्थन में हूती विद्रोही लगातार मिसाइल और ड्रोन अटैक कर रहे हैं। हूतियों ने खुला एलान कर रखा है कि वे इजराइल से जुड़े सभी व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाते रहेंगे। इसके चलते इन जहाजों को यह छोटा रास्ता छोड़कर अफ्रीका वाला रूट चुनना पड़ रहा है, जो उनके लिए ज्यादा खर्चीला साबित हो रहा है।

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