Site icon hindi.revoi.in

Iran-Israel War: भारत में नहीं होगी ईधन की किल्‍लत, सरकार ने बढ़ाया रूस से कच्चे तेल का आयात

Social Share

नई दिल्ली, 22 जून। इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के बाद बाजार में आए उतार-चढ़ाव के बीच भारत ने जून में रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी है। भारत की जून में रूस से तेल खरीद पश्चिम एशिया के आपूर्तिकर्ताओं… सऊदी अरब और इराक से आयातित मात्रा से अधिक रही है। अमेरिकी सेना ने रविवार सुबह ईरान में तीन स्थलों पर हमला किया। वह इस युद्ध में सीधे इजरायल के साथ शामिल हो गया है। इजरायल ने 13 जून को सबसे पहले ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला किया था।

वैश्विक व्यापार विश्लेषक कंपनी केपलर के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां जून में रूस से प्रतिदिन 20 से 22 लाख बैरल कच्चा तेल खरीद रही हैं। यह दो साल का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इसके साथ ही यह इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कुवैत से खरीदी गई कुल मात्रा से अधिक है।

मई में रूस से भारत का तेल आयात 19.6 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था। जून में अमेरिका से भी आयात बढ़कर 4,39,000 बीपीडी हो गया। पिछले महीने यह आंकड़ा 2,80,000 बीपीडी था। केपलर के अनुसार, पश्चिम एशिया से आयात के लिए पूरे महीने का अनुमान लगभग 20 लाख बैरल प्रतिदिन है, जो पिछले महीने की खरीद से कम है।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश भारत विदेशों से लगभग 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है, जिसे रिफाइनरी में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है। भारत पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया से कच्चा तेल खरीदता रहा है। फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करना शुरू कर दिया था।

इसका मुख्य कारण यह था कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज करने के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी सस्ते दाम पर उपलब्ध था। इसके कारण भारत के रूसी तेल आयात में नाटकीय वृद्धि देखी गई। कभी भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात एक प्रतिशत से भी कम था। लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यह थोड़े से समय में ही बढ़कर 40-44 प्रतिशत तक पहुंच गया था।

Exit mobile version