नई दिल्ली, 8 अगस्त। भारत ने अपने अध्यक्षीय काल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की पहली ही बैठक के दौरान अफगानिस्तान में जारी तालिबानी हिंसा के खिलाफ वैश्विक समुदाय को एकजुट करने के लिए न सिर्फ कूटनीतिक दबाव बनाया वरन उसके दांव पर पड़ोसी पाकिस्तान भी चित हो गया। यही नहीं बल्कि चीन को भी मजबूर होकर भारत का समर्थन करना पड़ा।
पाकिस्तान को बैठक में शामिल ही नहीं किया गया
दरअसल, भारत ने शुक्रवार रात हुई इस आपात बैठक में पाकिस्तान को शामिल ही नहीं किया। बैठक के दौरान सुरक्षा परिषद के सभी देश अफगानिस्तान में जारी तालिबानी हिंसा के खिलाफ थे और उन्होंने हिंसा रोकने के लिए एक स्वर से संघर्ष विराम पर जोर दिया, जिससे तालिबान के अत्याचार में साथ दे रहा पाकिस्तान बेनकाब हो गया। अफगानिस्तान ने जहां तालिबान के पीछे पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया वहीं भारत ने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों की जवाबदेही तय होना जरूरी है।
भारत की अपील – सुरक्षा परिषद तत्काल संघर्ष विराम के उपायों पर कदम उठाए
यूएनएससी की इस अहम बैठक की अध्यक्षता कर रहे भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए जरूरी है कि आतंकी आश्रयस्थल खत्म किए जाएं। इसके साथ ही आतंकियों को रसद पहुंचाने वाली रसद लाइनों को खत्म कर आतंकवाद के हर स्वरूप के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की जरूरत है। भारत ने आग्रह किया कि सुरक्षा परिषद हालात की समीक्षा के बाद अफगानिस्तान में व्यापक शांति के लिए तत्काल संघर्ष विराम के उपायों पर कदम उठाए।
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इस्काजई ने कहा कि तालिबान ने बर्बर हमले तेज किए हैं, जिससे हालात बहुत गंभीर हो गए हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तालिबान के साथ विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं।
तालिबानी सप्लाई लाइन खत्म करे पाकिस्तान : अफगानिस्तान
इस्काजई ने पाकिस्तान में तालिबानी लड़ाकों को मिल रही मदद और वहां के अस्पतालों में उनके इलाज का हवाला देते हुए पाक सरकार से तालिबान की सप्लाई लाइन खत्म करने की अपील की। उनका कहना था कि पाकिस्तान में तालिबान के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने को लेकर अनेक वीडियो सबूत सामने आते रहे हैं। मौजूदा हालात एक ऐसा युद्ध है, जिसकी मशीन पर्दे के पीछे रहकर चलाई जा ही है।
चीन बोला – मौजूदा हालात के लिए अमेरिका जिम्मेदार
भारत का समर्थन करते हुए चीन ने भी अफगानिस्तान में हिंसा का विरोध किया। चीन के प्रतिनिधि ने कहा कि ताकत के दम पर अफगानिस्तान में कोई सरकार नहीं बनाई जानी चाहिए। हालांकि, चीन ने मौजूदा हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया।
तालिबान ऐसी कोशिश से तालिबान अलग-थलग पड़ जाएगा : अमेरिका
अमेरिका ने बैठक में कहा कि अगर तालिबान ताकत के दम पर काबुल की सत्ता हथियाने की कोशिश करते हैं तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाएंगे। अफगानिस्तान से अपने सेनाएं हटा रहे अमेरिका ने तालिबानी हमलों की सख्त लहजे में निंदा करते हुए कहा कि किसी मौजूदा स्थिति का सैन्य तरीके से समाधान निकालना मुमकिन नहीं है।