नई दिल्ली, 02 दिसम्बर। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायोग कार्यालय (ओएचसीएचआर) के जम्मू-कश्मीर को लेकर दिये गये बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और बयान को ‘पूर्वाग्रह से ग्रस्त’ बताते हुए उन्हें मानवाधिकारों पर आतंकवाद के नकारात्मक प्रभाव को ठीक से समझने की नसीहत दी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया के सवालों पर इस बात पर हैरानी जताई कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को मानवाधिकार उच्चायोग कार्यालय महिमामंडित कर रहा है।
श्री बागची ने कहा कि हमने मानवाधिकार उच्चायोग के कार्यालय के प्रवक्ता का जम्मू-कश्मीर की कुछ विशेष घटनाओं को लेकर बयान देखा है। यह बयान भारत के सुरक्षा बलों और पुलिस के विरुद्ध निराधार एवं तथ्यहीन आरोपों से भरा है। उन्होंने कहा कि बयान से ये भी पता चलता है कि मानवाधिकार उच्चायोग कार्यालय में भारत द्वारा झेली जा रही सीमा पार आतंकवाद तथा जम्मू-कश्मीर सहित हमारे सभी नागरिकों के जीने के अधिकार जैसे बुनियादी मानवाधिकार पर आतंकवाद के असर के बारे में पूरी तरह से समझ का अभाव है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को सशस्त्र समूह कहना मानवाधिकार उच्चायोग कार्यालय के स्तर पर स्पष्ट रूप से पूर्वाग्रह से ग्रस्त व्यवहार दर्शाता है।